Allahabad High Court on Live in Relationship: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि "लिव इन रिलेशनशिप का अस्तित्व किसी को आपत्तिजनक संदेश और लिव-इन पार्टनर की तस्वीरें पोस्ट करने का लाइसेंस नहीं देता है."

लिव-इन-रिलेशनशिप (Live In Relationship) को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने पिछले दिनों एक और फैसला दिया. कोर्ट ने कहा- 'बालिगों को उनकी स्वेच्छा से रहने-जीने का अधिकार है. कोई भी उनके मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.'

इससे पहले, लिव इन रिलेशनशिप के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट कहना था कि दो बालिग लोग आपसी सहमति से एक-दूसरे के साथ रह सकते हैं और ये कानून की नजर में अवैध नहीं है. कोर्ट ऐसे कपल को पारंपरिक शादी में रहने वाले जोड़ों की तरह ही देखता है, बशर्ते वो कोर्ट के तय किए गए नियमों के साथ लिव-इन में रह रहे हों.

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