भेड़ाघाट: मां नर्मदा और सफेद संगमरमर का दिव्य नजारा
भेड़ाघाट (Photo Credit: MP Tourism)

हिंदुस्तान की सरजमीं पर प्रकृति ने कई अनुपम सौंदर्य बिखेरे हैं, जिसे देख कोई भी हतप्रभ रह सकता है, इसका जीता जागता उदाहरण है जबलपुर (Jabalpur) स्थित भेड़ाघाट (Bhedaghat). कल्पना कीजिए... चांदनी रात में आप किसी शीतल एवं निर्मल झील में आप नौका विहार कर रहे हों, आपके-सामने, आगे-पीछे हर तरफ सफेद चांदनी-सी चमचमाती संगमरमर की चट्टानें हों.. झील के भीतर चांद-सितारे अठखेलियां कर रहे हों, आप आसानी से इस सपने की दुनिया से बाहर नहीं आना चाहेंगे. आज हम आपको ऐसे ही सपनों की दुनिया में ले चलेंगे...

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर शहर से करीब 20-21 किमी दूरी पर एक छोटा सा गांव है, भेड़ाघाट. यह गांव संगमरमर की चट्टानों के लिए सारी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस गांव की दूसरी उपलब्धि यह है कि यह नर्मदा नदी (Narmada River) के तट पर बसा हुआ है. ऐसा भी कहा जाता है कि मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल के लिए निर्मित ताजमहल में भेड़ाघाट के संगमरमर का भी इस्तेमाल किया था.

पूर्व से पश्चिम की ओर बहनेवाली नर्मदा नदी भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदियों में एक है. हमारे पौराणिक कथाओं में मां नर्मदा ‘अमृत्स्य’ के नाम से उल्लेखित हैं. यह देश के उत्तर तथा दक्षिण को सांस्कृतिक रूप से विभाजित करती उत्तर के विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के अमरकंटक से निकलती हैं. अमरकंटक के उद्गम स्थल से 327 किमी पश्चिम की ओर बहने के बाद नर्मदा भेड़ाघाट की संगमरमरी नगरी में प्रवेश करती है.

अनुपम अद्वितीय सौंदर्य का खजाना

स्वच्छ, निर्मल, शांत जल, और संगमरमर की दिव्य चमक का संगम सम्पूर्ण परिदृश्य को अनुपम एवं अनमोल बना देता है. वास्तव में रात्रि के समय भेड़ाघाट का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है. जब आकाश में झिलमिल करते सितारे और दूधिया एवं निर्मल चांद नर्मदा के शांत जल में किलोलें करते हैं, तो लगता है करोड़ों जुगनू नर्मदा मां के आगोश में मस्ती कर रहे हों. नर्मदा से लगे एक किनारे पर एक संकरी जगह पर संगमरमर की चट्टानें एक दूसरे के नजदीक नजर आती हैं. इसे बन्दर कुदनी कहते हैं.

दुर्लभ चौंसठ योगिनी मंदिर

यहीं थोड़ी दूर पर एक अति प्राचीन चौंसठ योगिनी मंदिर भी है. यहां चौंसठ महिलाओं की आकृतियां नजर आयेंगी, जो योग की विभिन्न मुद्राओं में अंकित हैं. देश भर में बहुत कम ऐसे योगिनी मंदिर हैं. उनमें भेड़ाघाट का यह मंदिर विश्व भर में लोकप्रिय है. यहां से धुआंधार फॉल्स के बीच एक छोटा मगर आकर्षक बाज़ार भी है. यह भी पढ़ें-

रोपवे से लें प्रकृति की खूबसूरती का आनंद

नर्मदा नदी के करीब में एक बेहद खूबसूरत झरना भी है. सफेद संगमरमर की ऊंची चट्टानों से पत्थरों से टकराकर नीचे गिरते पानी की धार की गति इतनी तेज होती है कि करीब चालीस प्रतिशत पानी धुएं के रूप में दिखता है. यह दृश्य इतना मनोरम होता है कि यहां आए पर्यटक बिना यह देखे कि पानी कितना ठंडा है, जल से उत्पन्न धुओं के गुब्बारों में खुद को भिगोने का लोभ संवरण नहीं कर पाते. इस अद्भुत झरने का अवलोकन करने के लिए, भेड़ाघाट विकास प्राधिकरण द्वारा एक रोपवे का भी निर्माण किया है. रोपवे की ट्रॉली में बैठकर परिवार के साथ इस दिव्य झरने के साथ पर्यटक पानी के फॉग का भी भरपूर आनंद उठा सकते हैं. इसके अलावा नर्मदा नदी तट पर बाणकुंड और रूपकुंड भी हैं. इन कुंडों का उल्लेख पुराणों में भी वर्णित है.

चांदनी रात में नौका विहार का आनंद

अगर आप भेड़ाघाट के अद्भुत सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं तो चांदनी रात में यहां नौका-विहार का लुत्फ जरूर उठाएं. भेड़ाघाट में नौका-विहार की दो तरह की व्यवस्था है. पहला शेयरिंग से, जिसमें आपके साथ कुछ सहयात्री होंगे. यह थोड़ा कम खर्चीला होता है. दूसरा है प्राइवेट, जिसमें आप स्वतंत्र रूप से मां नर्मदा की गोद में सफेद संगमरमरी दीवारों के बीच चांदनी रोशनी में नौका-विहार का आनंद उठा सकते हैं. पूर्णिमा की रात जब चांद अपनी पूरी शबाब पर होता है तो नर्मदा नदी और संगमरमर का कॉम्बिनेशन का सौंदर्य द्विगुणित हो जाता है. ऐसे समय पर भेड़ाघाट में पर्यटकों का मेला सा लग जाता है.