मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का परिवारवाद, जहां रिश्तों से बढ़ कर कुछ नहीं..
भगवान श्री राम (File Photo)

श्रीराम, श्रीकृष्ण और श्रीमहावीर हमारे यह तीनों ही महा पूर्वज हमारे अखंड भारत के दिव्य पुरुष हैं. श्रीराम जहां जीवन की भूमिका में हैं, वहीं श्रीकृष्ण जीवन के विस्तृत रूप में दिखते हैं जबकि श्री महावीर को जीवन का उपसंहार माना गया है. जब तीनों महापुरुषों को एकसार किया जाता है, तभी जीवन को पुरुषार्थ मिलता है, जीवन की परिभाषा बनती है. गृहस्थ जीवन जीने की कला श्रीराम की जीवन शैली से सीखी जा सकती है तो श्री कृष्ण की जीवन शैली यह बताती है कि जीवन में संघर्ष करते हुए कैसे सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है.

मुक्ति पाने के लिए आत्म साधना को माध्यम बनाने की शिक्षा श्री महावीर जी से प्राप्त होती है. यहां परिवार वाद के लिए श्री कृष्ण अथवा श्री महावीर जी की तुलना में श्री राम जी का आदर्श स्वरूप ज्यादा कारगर साबित होता है, यह बात जैन धर्म स्वीकार कर चुके संत श्री चंद्रप्रभ जी महाराज भी एक साक्षात्कार में कह चुके हैं. श्रीराम का परिवारवाद सर्वदा श्रेष्ठ है.

श्री राम में निहित श्री महावीर

श्रीराम का नाम लेते ही, मन निर्मल, जिह्वा सत्य, कान पवित्र और आत्मा शुद्ध हो जाती है. श्री राम महावीर का सार है तो महावीर राम का विस्तार. राम का नाम लेने भर से सभी तीर्थों की आराधना स्वमेव हो जाती है. राम का आशय जो हमारे भीतर रमे, भ्रमण करे. संत श्री चंद्रप्रभ बताते हैं, मुझे श्री राम की तीन बातों ने बहुत प्रभावित किया है, पहला श्री राम का नाम. राम केवल शब्द ही नहीं बल्कि इस नाम में बहुत बड़ी ताकत छिपी हुई है. तभी तो श्री राम का नाम लिखने मात्र से पत्थर (रानी अहिल्या) भी तर गए, और श्रीराम के स्पर्श मात्र से पत्थर बदल कर अहिल्या बन गई.

दूसरा है श्री राम का आदर्श पुरुष का स्वभाव, जिसे हर कोई स्वयं में ढालना चाहता है. तीसरा है श्री राम का चरित्र. राम की महानता ही है कि पिता के वचनों की रक्षा के लिए राज महल का ऐश्वर्य और वैभव त्याग कर सहर्ष 14 वर्षों के लिए वनवास को चले गए. शबरी के झूठे बेरों को भी स्वाद लेते हुए खाते रहे. जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रही है. संत आगे बताते हैं कि सिवाय श्री राम का नाम जपने से बेहतर होगा कि श्री राम के चरित्र की मर्यादा को भी आत्म सात करें.

घर में रामायण जरूर रखें

रामायण मात्र पुस्तक नहीं है, इसमें जीवन का सार छिपा हुआ है. प्रातःकाल उठ कर रामायण की कुछ चौपाइयों का गान करें, इससे घर के बिगड़े हालातो में सुधार आता है. राम और लक्षमण के भ्रतुरताव प्रेम से हमें सीखना चाहिए कि बड़े और छोटे भाई के बीच कैसा भाव व्यवहार होता है. एक तरफ अपना परिवार छोड़कर छोटा भाई बड़े भाई की सेवा में वनवास चले गए, वहीं भारत राजमहल में रहकर भी वनवासी का जीवन जी रहे थे. कोई हमारे साथ गलत करता है तो हम राम से सीखें कि गलत करने वाले साथ भी कैसा व्यवहार किया जाता है.

कैकई ने राम को वनवास दिया और राम इतने महान निकले की वनवास से वापस आने के बाद सबसे पहले कैकई को प्रणाम किया. हम श्री राम से सीखें कि कैसे आत्मविश्वास पूर्वक आगे बढ़ा जाता है.रावण की विशाल सेना के सामने भले ही राम अकेले थे, पर उन्होंने आत्मविश्वास के बल बूते रिक्ष, भालू, बंदरी की सेना के बल पर अजेय रावण को परास्त कर दिया.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की अपनी निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं.