स्मार्टफोन और कंप्यूटर को ट्रंप के टैरिफ से राहत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी सरकार ने स्मार्टफोन, कंप्यूटर और दूसरे इलेक्ट्रोनिक सामानों को टैरिफ से अलग कर दिया है. अमेरिकी कंपनियां ये सभी सामान ज्यादातर चीन से मंगाती हैं. अब इन्हें चीन पर लगे 125 फीसदी टैरिफ की सूची से निकाल दिया गया है.अमेरिकी कस्टम और सीमा सुरक्षा एजेंसी ने सामान के आयात-निर्यात से जुड़े लोगों के लिए जारी एक नोटिस में उन टैरिफ कोड्स की सूची दी है जिन पर शुल्क नहीं लगेगा. कस्टम एजेंसी की सूची में 20 तरह के प्रॉडक्ट शामिल किए गए हैं, जिनमें एक व्यापक कोड 8471 भी है. यह सभी तरह के कंप्यूटरों, लैपटॉप, डिस्क ड्राइवर्स और ऑटोमेटिक डाटा प्रोसेसिंग डिवाइसों पर लागू होता है. इसमें सेमीकंडक्टर डिवाइस, उपकरण, मेमोरी चिप और फ्लैट पैनल डिस्प्ले भी शामिल हैं.

नोटिस में यह नहीं बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन ने ऐसा क्यों किया, लेकिन इससे अमेरिका की बहुत सारी टेक कंपनियों को राहत मिली है जिनमें एपल, डेल टेक्नोलोजी और सामान आयात करने वाली अन्य बेशुमार कंपनियां हैं.

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व्हाइट हाउस का कहना है कि इन प्रॉडक्ट्स को चीनी सामान पर लगाए गए ट्रंप के 'रेसिप्रोकल टैरिफों' से ही राहत मिलेगी, जो इस हफ्ते बढ़कर 125 प्रतिशत हो गया. ट्रंप ने पहले सभी चीनी सामानों पर जो 20 प्रतिशत ड्यूटी लगाई गई थी, वह जारी रहेगी. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप जल्द ही सेमीकंडक्टरों को लेकर एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा व्यापार जांच शुरू करेंगे, जिससे इस सेक्टर पर नए टैरिफ लगाए जा सकते हैं.

महंगाई की मार

दूसरी तरफ, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलीन लेवित ने कहा है कि ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका सेमीकंडक्टर, चिप, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसी तकनीकी मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन पर निर्भर नहीं रह सकता. उनके मुताबिक ट्रंप के निर्देश पर एपल समेत बड़ी टेक कंपनियां, चिप बनाने वाली एनवीडिया और ताइवानी सेमीकंडक्टर कंपनी जल्द ही अमेरिका में अपनी मैन्युफैक्चरिंग करना शुरू कर देंगे.

स्मार्टफोन और कंप्यूटरों को नए टैरिफों से बाहर निकालने से एक बात साफ हो जाती है कि ट्रंप प्रशासन को अब यह अहसास हो रहा है कि टैरिफों के चलते आम लोगों पर कितना असर होगा, जो पहले ही महंगाई से परेशान हैं. खासकर अब स्मार्टफोन, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रोनिक सामान उनकी पहुंच से बाहर होने लगेंगे. विश्लेषकों का अनुमान है कि चीनी आयात पर अगर 54 प्रतिशत टैरिफ भी लगाए जाते हैं तो आईफोन के सबसे नए मॉडल का दाम 1,599 डॉलर से बढ़कर 2,300 डॉलर तक जा पहुंचेगा. और अगर टैरिफ 125 प्रतिशत हुए तो इसका मतलब होगा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार रुक ही जाएगा.

चुनाव की चिंता

अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका ने 2024 में चीन से सबसे ज्यादा स्मार्टफोन ही आयात किए. उसने करीब 41.7 अरब डॉलर के स्मार्टफोन मंगाए. इसके बाद चीन में बने लैपटॉप कंप्यूटरों के आयात की बारी आती है, जिनका कुल मूल्य 33.1 अरब डॉलर था.

ट्रंप पिछले साल यह वादा कर राष्ट्रपति चुनाव जीते कि वे महंगाई को कम करेंगे, जो कोरोनो महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से बहुत बढ़ गई है. दरअसल महंगाई के मुद्दे की वजह से पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके डेमोक्रैट्स सहयोगियों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन ट्रंप ने यह भी वादा किया था कि वो टैरिफ लगाएंगे और यह उनके आर्थिक एजेंडे का मुख्य आधार बन गया.

अब उनके तथाकथित 'रेसिप्रोकल टैरिफों' से अमेरिका में मंदी आने का खतरा बढ़ गया है और उन्हें अपनी ही रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं की आचोलना झेलनी पड़ रही है. रिपब्लिकन पार्टी नहीं चाहती कि अगले साल होने वाले कांग्रेस के चुनावों में वह डैमोक्रेट्स के हाथों प्रतिनिध सभा और सीनेट में अपना बहुमत खो दे. डैमोक्रेट्स जमकर ट्रंप की आर्थिक नीतियों को निशाना बना रहे हैं.

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