
हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के चारों ओर चक्कर लगाने वाली एक छोटी आकाशगंगा, स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड (SMC), धीरे-धीरे नष्ट हो रही है. यह चौंकाने वाला दावा हाल ही में प्रकाशित एक नए वैज्ञानिक अध्ययन में किया गया है. यह शोध दि एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट सीरीज में गुरुवार (10 अप्रैल) को प्रकाशित हुआ.
वैज्ञानिकों का मानना है कि SMC की यह स्थिति इसके बड़े साथी, लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (LMC) की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण हो रही है. जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री केन्गो टाचीहारा, जो इस अध्ययन के सह-नेता हैं, ने कहा, "जब हमें यह परिणाम पहली बार मिला, तो हमें लगा कि शायद हमारी विश्लेषण पद्धति में कोई त्रुटि है. लेकिन जब हमने बारीकी से देखा, तो परिणाम बिल्कुल स्पष्ट थे और हमें हैरानी हुई."
यह अध्ययन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के हाल ही में सेवा-निवृत्त गाइआ अंतरिक्ष यान द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है. इन आंकड़ों में देखा गया कि SMC में मौजूद तारे आकाशगंगा के दोनों ओर विपरीत दिशाओं में गति कर रहे हैं, जैसे कि कोई उन्हें खींचकर अलग कर रहा हो.
टाचीहारा ने बताया, "इनमें से कुछ तारे LMC की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि कुछ उससे दूर जा रहे हैं." इसका अर्थ है कि LMC का गुरुत्वाकर्षण SMC को धीरे-धीरे खींच कर नष्ट कर रहा है.
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों को एक और चौंकाने वाली बात पता चली. उन्होंने पाया कि SMC में मौजूद भारी तारे अपनी आकाशगंगा के अक्ष (axis) के चारों ओर घूम नहीं रहे हैं. यह खोज हमारी वर्तमान खगोलीय समझ को चुनौती देती है.
"यदि SMC में आकाशगंगा की सामान्य घूर्णन गति नहीं है, तो यह मिल्की वे, LMC और SMC के बीच अब तक मानी जा रही पारस्परिक गतिशीलता और इतिहास को पूरी तरह बदल सकती है," वैज्ञानिकों ने कहा.
यह अध्ययन न केवल अंतरिक्ष की विशालता को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ब्रह्मांड की संरचनाएं समय के साथ किस तरह बदलती रहती हैं. SMC की यह ‘धीमी मृत्यु’ हमें यह याद दिलाती है कि आकाशगंगाएं भी आपस में टकराव और खिंचाव की प्रक्रिया से गुजरती हैं.