New ISRO Chairman V. Narayanan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए अध्यक्ष के रूप में वी. नारायणन की नियुक्ति की घोषणा 9 जनवरी 2025 को की गई. उनका कार्यकाल 14 जनवरी, 2025 से शुरू होगा, और वे एस. सोमनाथ का स्थान लेंगे, जिन्होंने जनवरी 2022 में ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था. नारायणन की नियुक्ति भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नई दिशा और गति की प्रतीक मानी जा रही है, क्योंकि उनके पास लगभग चार दशकों का अनुभव है और वह अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं.
वी. नारायणन: एक अनुभवी वैज्ञानिक
वी. नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, जिनका नाम भारत के अंतरिक्ष अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों में शुमार किया जाता है. वे वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो कि भारत के प्रमुख रॉकेट प्रोपल्शन केंद्रों में से एक है. उनका कार्यक्षेत्र रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणालियों के प्रोपल्शन के आसपास केंद्रित है, और उन्होंने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और प्रौद्योगिकियों पर कार्य किया है.
Appointments Committee of the Cabinet has approved the appointment of V Narayanan, Director, Liquid Propulsion Systems Centre, Valiamala as Secretary, Department of Space and Chairman, Space Commission for a period of two years with effect from January 14 pic.twitter.com/DNQ8XzNydy
— ANI (@ANI) January 7, 2025
नारायणन ने 1984 में ISRO से जुड़कर अंतरिक्ष विज्ञान में अपने करियर की शुरुआत की थी. वह विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में भी काम कर चुके हैं और वहां उन्होंने साउंडिंग रॉकेट्स और एसएलवी (Satellite Launch Vehicle) जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया. इसके बाद, उन्होंने लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) में काम किया, जो तरल प्रोपल्शन प्रणाली के विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है.
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर की भूमिका
LPSC, जो कि भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक महत्वपूर्ण केंद्र है, रॉकेट और अंतरिक्ष यान के लिए तरल, सेमी-क्रायोजेनिक और क्रायोजेनिक प्रोपल्शन तकनीकों के विकास में काम करता है. यह भारत के प्रमुख लॉन्च वाहन कार्यक्रमों जैसे PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle), GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) और Gaganyaan मिशन के लिए अहम योगदान देता है.
इसके अलावा, नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में सैटेलाइट प्रणालियों के विकास, उनके नियंत्रण तंत्र और ट्रांसड्यूसर सिस्टम्स के लिए महत्वपूर्ण काम किया है. नारायणन को गगनयान मिशन के लिए मानव-रेटेड सर्टिफिकेशन बोर्ड (HRCB) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है, जो कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है.
नारायणन की शिक्षा और पृष्ठभूमि
नारायणन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिल माध्यम से प्राप्त की और फिर उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एम.टेक के कार्यक्रम में पहला स्थान प्राप्त किया था, जिसके लिए उन्हें सिल्वर मेडल भी दिया गया. उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें ISRO में प्रमुख स्थान दिलाया और वह LPSC के निदेशक के पद तक पहुंचे.
एस. सोमनाथ का नेतृत्व और उनकी उपलब्धियां
इससे पहले एस. सोमनाथ ने ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उनकी अगुवाई में भारत ने कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए. खासतौर पर, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना रोवर भेजने में सफलता प्राप्त की, जिससे ISRO को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला. इसके अलावा, भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा पर अपने यान को सफलतापूर्वक लैंड कराया और इस प्रकार वह दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है.
नारायणन की भूमिका और भविष्य की दिशा
अब जब वी. नारायणन को ISRO का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, तो उम्मीद की जा रही है कि उनका नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा. उनके पास रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणालियों के क्षेत्र में गहरा अनुभव है और उनका ध्यान अब भारत के अंतरिक्ष अभियानों की और भी सटीकता और दक्षता को बढ़ाने पर होगा.
नारायणन के नेतृत्व में भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को और तेजी से पूरा करने की संभावना है, जिससे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वैश्विक पहचान और भी मजबूत होगी. इसके अलावा, भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी उपलब्धियों को और प्रगति देने के लिए नारायणन अपने अनुभव और नेतृत्व क्षमता का भरपूर उपयोग करेंगे.
वी. नारायणन की नियुक्ति भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ISRO को और अधिक सफलता की ओर ले जाएगा. उनकी तकनीकी विशेषज्ञता, अनुभव और नेतृत्व क्षमता भारत के अंतरिक्ष मिशनों को नई दिशा देगी. ISRO के अगले अध्यक्ष के रूप में वी. नारायणन की यात्रा निश्चित रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक नया अध्याय साबित होगी.