Rashtriya Balika Diwas 2023: 24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस? जानें इसका महत्व एवं उद्देश्य!

एक समय था, जब लड़कियों की लक्ष्मण-रेखा रसोई घर की ड्योढ़ी तक होती थी, या फिर शादी के बाद घर-गृहस्थी तक सिमट कर रह जाता था, लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. वर्तमान में भारत की बेटियां आकाश से समुद्र तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं, तथापि ग्रामीण एवं अविकसित क्षेत्रों में आज भी लड़कियों की स्थिति अच्छी नहीं है.

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Rashtriya Balika Diwas 2023: 24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस? जानें इसका महत्व एवं उद्देश्य!

एक समय था, जब लड़कियों की लक्ष्मण-रेखा रसोई घर की ड्योढ़ी तक होती थी, या फिर शादी के बाद घर-गृहस्थी तक सिमट कर रह जाता था, लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. वर्तमान में भारत की बेटियां आकाश से समुद्र तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं, तथापि ग्रामीण एवं अविकसित क्षेत्रों में आज भी लड़कियों की स्थिति अच्छी नहीं है.

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Rashtriya Balika Diwas 2023: 24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस? जानें इसका महत्व एवं उद्देश्य!
Rashtriya Balika Diwas 2023

एक समय था, जब लड़कियों की लक्ष्मण-रेखा रसोई घर की ड्योढ़ी तक होती थी, या फिर शादी के बाद घर-गृहस्थी तक सिमट कर रह जाता था, लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. वर्तमान में भारत की बेटियां आकाश से समुद्र तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं, तथापि ग्रामीण एवं अविकसित क्षेत्रों में आज भी लड़कियों की स्थिति अच्छी नहीं है. आज भी देश में बेटियों के जन्म एवं शिक्षा को लेकर तमाम सामाजिक धारणाएं व्याप्त हैं, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, ऐसे में बेटियों को बराबरी का हक दिलाने एवं उनकी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस की अहमियत बढ़ जाती है. 24 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर हम इसके इतिहास, महत्व एवं उद्देश्य की बात करेंगे.

बालिका दिवस का महत्व!

एक समय था, जब, बेटियां पैदा होने पर घर के लोग दुखी रहते थे, उनकी सोच में लड़कियां बुढ़ापे का सहारा नहीं हो सकतीं. इसलिए बहुत-सी जगहों पर बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता था, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं. आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से लाख गुना आगे हैं, देश-विदेश में कहीं कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां उन्होंने अपने वर्चस्व स्थापित नहीं किया है. यही वजह है कि भारत सरकार ने भी बेटियों को और ज्यादा सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस की परंपरा शुरू की. वर्तमान मेंं भी भाजपा सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ स्लोगन के तहत बालिकाओं के लिए तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. यह भी पढ़ें : Subhash Chandra Bose Jayanti 2023: नेताजी ने जब अंग्रेज प्रोफेसर को थप्पड़ जड़ा! जानें नेताजी के जीवन की कुछ अहम् स्मृतियां!

24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस?

साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसी तिथि पर राष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित करने की मुख्य वजह थी कि 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. किसी भी महिला के लिए यह गौरवान्वित होने वाली बात थी. बालिका दिवस सेलिब्रेशन का मुख्य मकसद था, समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए उनका चतुर्मुखी विकास करना था, ताकि समाज में वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ सकें. इस संदर्भ में देश के विभिन्न हिस्सों में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.

राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य!

समाज में लड़कियों को भी लड़कों के समानांतर लाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसका मुख्य उद्देश्य समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें सशक्त बनाना है. साथ ही यह भी तय करना कि प्रत्येक बालिका को उसका मूलभूत अधिकार मिले, उसे सामाजिक एवं लैंगिक असमानताओं का सामना ना करना पड़े.

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