World Refugee Day 2019: दुनिया के विभिन्न देशों में रह रहे शरणार्थियों (Refugees) की मदद और उनकी स्थिति को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) यानी वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जाता है. विश्व शरणार्थी दिवस का आयोजन करके इस दिन दुनिया भर में शरणार्थियों की मदद की जाती है और उनके हालात से रूबरू कराने की कोशिश की जाती है. इस दिन लाखों शरणार्थियों की ताकत, साहत और उनकी दृढता का सम्मान जताने के लिए खास आयोजन किए जाते हैं.
हालांकि हर साल इस दिवस को मनाने के लिए एक अलग थीम तय की जाती है और इस साल की थीम ‘#StepWithRefugees’ रखा गया है. आखिर हर साल 20 जून को ही विश्व शरणार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है और इस दिवस की शुरुआत कैसे हुई? चलिए विस्तार से जानते हैं. यह भी पढ़ें: अमेरिकी सरकार ने सुनाया नया फैसला, शरणार्थी बच्चों के लिए इंग्लिश की कक्षाओं और कानूनी सेवाओं में करेंगे कटौती
विश्व शरणार्थी दिवस का इतिहास
विश्व शरणार्थी दिवस हर साल 20 जून को मनाया जाता है, लेकिन पहले इसके लिए अलग तारीख निर्धारित की गई थी. दरअसल, 4 जून 2000 को संयुक्त राष्ट्र ने संघ विश्व शरणार्थी दिवस मनाने की घोषणा की थी, जिसके लिए 17 जून की तारीख को निर्धारित किया गया था. इसके अगले साल यानी 2001 में संयुक्त राष्ट्र ने पाया कि साल 1951 के शरणार्थी स्थिति से संबंधित कन्वेंशन के 50 साल 20 जून को पूरे होंगे. जिसके बाद इस दिवस को 17 जून की बजाय 20 जून को मनाया जाने लगा.
वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का महत्व
संघर्ष, हिंसा और निरंतर प्रताड़ना जैसी चुनौतियों को झेलने वाले लोगों को जब मजबूरन अपने देश को छोड़कर भागना पड़ता है तो उन्हें कई देश पनाह देते हैं, जबकि कई देश उन्हें शरण देने से इंकार भी कर देते हैं. इन शरणार्थियों को भले ही किसी देश में पनाह मिल जाए, लेकिन उन्हें उस देश के अन्य नागरिकों की तरह सम्मान और अधिकार नहीं मिल पाता है. आज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भारी तादात में शरणार्थी रहते हैं, इसलिए इस दिवस को उनके साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: सीरिया हिंसा के कारण लगभग 3,20,000 लोगों ने छोड़े अपने घर: संयुक्त राष्ट्र
म्यामांर, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अधिकांश अफ्रीकी देशों के लाखों नागरिक मजबूरन हर साल दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर (UNHCR) इन शरणार्थियों की मदद करती है. गौरतलब है कि इस दिन को मनाए जाने का मकसद शरणार्थियों की दुर्दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढना है.