जेनेवा: 'संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी समिति' ने गुरुवार को चेतावनी देते हुए कहा कि दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में हिंसा बढ़ने से 3,20,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं जबकि 7,50,000 अन्य लोगों पर हिंसा का शिकार होने का खतरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि उन्हें दारा प्रांत में नागरिकों और मानवीय कार्य करने वाले कर्मियों के भले के लिए वे चिंतित हैं. यह क्षेत्र सीरिया में जॉर्डन सीमा पर विपक्ष के कब्जे में आता है.
समाचार एजेंसी एफे न्यूज के मुताबिक, सीमा फिलहाल बंद है लेकिन हालिया सप्ताहों में देखा गया है कि सरकार ने बमबारी और हवाई हमले बढ़ा दिए हैं.
ग्रांडी ने कहा, "एक अनुमान के अनुसार, 7,50,000 लोग खतरे में जी रहे हैं. 3,20,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं. ज्यादातर लोग खतरनाक और असुरक्षित परिस्थितियों में जी रहे हैं जिनमें लगभग 60,000 लोग जॉर्डन सीमा पर नसीब/जबेर पर पड़ाव डाले हैं."
उन्होंने कहा, "विस्थापितों में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चे हैं. वे बूढ़े, बीमार और कमजोर लोग हैं और मुझे सबसे ज्यादा चिंता इन लोगों की है."
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में व्याप्त अस्थिर सुरक्षा की स्थित संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए जा रहे मानवीय और राहत कार्यो में बाधा उत्पन्न कर रही है.
उन्होंने कहा कि हिंसा के कारण दारा के निवासियों के पास पड़ोसी जॉर्डन में शरण मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है.
सीरिया में गृह युद्ध छिड़ने के बाद लगभग 10 लाख शरणार्थियों को शरण देने वाले हैशमाइट किंगडम ने हाल ही में अपनी सीमाएं बंद करने की घोषणा की है.
ग्रांडी ने सहयोग देने के लिए अम्मान का धन्यवाद करते हुए उससे दारा हिंसा में प्रभावित हुए लोगों के लिए एक बार फिर अस्थायी सहयोग करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जॉर्डन का समर्थन करना चाहिए और चेतावनी दी कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो हजारों लोगों की मौत हो सकती है.