World Air Day 2020: संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध इंटर गवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंच (IPCC) का अनुमान है कि निकटतम भविष्य में पृथ्वी के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस का इज़ाफा हो सकता है. बढ़ते तापमान को रोक तो सकते नहीं, इसलिए दुनिया के तमाम देश मिलकर इस वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिए प्रयासरत हैं. इसमें भरत भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा है. यही कारण है कि भारत में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है.
अक्षय ऊर्जा में सोलर के साथ-साथ पवन ऊर्जा की भी बड़ी भूमिका है. भारत की करें, तो हमारे देश की क्षमता के अनुसार अगर पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर दिए जाएं, तो देश में बिजली का उत्पादन दुगना हो सकता है. 15 जून को पूरी दुनिया में विश्व वायु दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर पवन ऊर्जा पर बात करना तो बनता है. आइये पवन ऊर्जा से जुड़े कुछ तथ्यों की बात करते हैं, साथ ही भारत में इसके स्कोप के बारे में हम आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले विश्व वायु दिवस के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं.
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करीब 14 वर्ष पूर्व यूरोपियन विंड एनर्जी एसोसिएशन और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल ने मिलकर इस दिन को मनाने का फैसला किया और पहली बार 2007 में इस दिवस को यूरोप में मनाया गया. उसके बाद 2009 में इसे विश्व स्तर पर मनाने का फैसला किया गया. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सभी देशों को एक जुट करके पवन ऊर्जा को प्रोत्साहित करना है.
2007 में जब पहली बार वायु दिवस मनाया गया तब कार्यक्रम में करीब 35 हजार लोग शामिल हुए वहीं 2008 में 20 देशों से एक लाख लोग और 2009 में 35 देशों से करीब 10 लाख लोग इस मुहिम से जुड़े और दुनिया के अलग-अलग कोनों में 300 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 2009 में पुर्तगाल में तो ग्लोबल विंड डे पर विंड परेड का आयोजन भी किया गया.
भारत में पवन ऊर्जा से जुड़े तथ्य
पवन ऊर्जा के मामले में एशिया पैसिफिक में चीन (26.2 गीगावॉट) के बाद भारत (2.7 गीगावॉट) दूसरे नंबर पर है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत की कुल क्षमता 2.07 गीगावॉट रही. लेकिन अगर 2018-19 (1.58 गीगावॉट) से तुलना करें तो पिछले साल इसमें 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई. भारत में कुल ऊर्जा क्षमता की 10.1 प्रतिशत ऊर्जा पवन ऊर्जा संयंत्रों से आती है.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ विंड एनर्जी की मानें तो भारत में जमीन स्तर से 100 मीटर ऊंचाई पर 302.2 गीगावॉट की क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का पोटेंशियल है. वहीं 120 मीटर ऊंचाई पर देश में 695.5 गीगावॉट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं. यानी अगर भारत इसे स्थापित करने में सफल हो गया, तो वर्तमान में जितनी बिजली भारत में बनती है, उसकी दुगनी बिजली भारत में होगी. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में सभी स्रोतों (थर्मल, हाइड्रो, न्यूक्लियन और रिन्युवेबल एनर्जी) की कुल क्षमता 370.3 गीगावॉट है.
विश्व में पवन ऊर्जा से जुड़े तथ्य
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल के मुताबिक दुनिया भर में 2019 में 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा की क्षमता के संयंत्र स्थापित किए गए. जो कि 2018 की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है.
पूरी दुनिया में पवन ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 651 गीगावॉट से अधिक है. 2018 की तुलना में बीते वर्ष इसमें 10 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ.
चीन और अमेरिका पवन ऊर्जा में शीर्ष पर हैं. पूवे विश्व के ऑनशोर विंड मार्केट का 60 फीसदी हिस्सा इन दोनों देशों में है.
ऑफशोर विंड एनर्जी प्लांट, यानी समुद्र के किनारे पवन ऊर्जा के संयंत्र दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं. 2019 में 6.1 गीगावॉट क्षमता के ऊर्जा संयंत्रों को इंस्टॉल किए गया.
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल का अनुमान है कि 2020 में नएं संयंत्र या वर्तमान संयंत्रों की क्षमता में 76 गीगावॉट का इज़ाफा होगा.
एशिया पैसिफिक क्षेत्र में कुल 30.6 गीगावॉट की क्षमता वाले नए पवन ऊर्जा संयंत्र 2019 में स्थापित किए गए. इसमें 28.1 गीगावॉट ऑफशोर विंड से है.
एशिया पैसिफिक क्षेत्र में कुल 290.6 गीगावॉट क्षमता वाले पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित हैं, जो दुनिया में 44 फीसदी हिस्सा रखते हैं.