Dussehra 2020 Rangoli Designs: दशहरा के शुभ अवसर पर बनाएं ये खास रंगोली, आकर्षक और लेटेस्ट खूबसूरत डिजाइन्स के लिए देखें वीडियो (Watch Tutorial Videos)
दशहरा रंगोली डिजाइन (Photo Credits: Facebook/Instagram)

Dussehra 2020 Rangoli Designs: नौ दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना करने के बाद आज देशभर में विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है. शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा (Devi Durga) की पूजा-अर्चना की जाती है, इसके बाद दशमी तिथि के पावन अवसर पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि (Navratri) के दसवें दिन यानी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान राम (Lord Rama) ने लंकापति रावण (Ravana) का संहार कर विजय प्राप्त किया था. इसलिए इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में लंकापति रावण के पुतले का दहन किया जाता है. वहीं बंगाली समुदाय के लोग मां दुर्गा की महिषासुर नामक असुर पर जीत के प्रतीक के तौर पर बिजोया दशमी का त्योहार मनाते हैं. हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में विजयादशमी का विशेष महत्व है.

भगवान विष्णु ने रावन का वध करने के लिए श्री राम का अवतार लिया था. भगवान राम ने अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि अहंकारी रावन का वध किया था. तब से इस दिन देशभर में रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है. साथ ही दशहरे के दिन शस्त्र पूजा करने का भी विधान है, वहीं अपराजिता देवी और शमी की पूजा विजयादशमी के दिन की जाती है. इस पर्व को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. अपने घरों की रौनक बढ़ाने के लिए इस दिन रंगोली (Rangoli) बनाया जाता है साथ ही भारतीय संस्कृति में रंगोली को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. अगर आप भी रंगोली बनाने का विचार कर रहे हैं तो देखें यह लेटेस्ट, आकर्षक और सुंदर रंगोली डिजाइन.

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फुल-पत्तों वाली आसान डिजाइन

महालक्ष्मी विशेष रंगोली डिजाइन

दशहरा पोस्टर रंगोली डिजाइन

सोने (आपटा) के पत्ते वाली रंगोली डिजाइन

दशहरा विशेष डॉट्स रंगोली डिजाइन

आप इन रंगोली डिज़ाइन की सहायता से अपने पर्व को और शुभ कर सकते हैं. नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना करनें के बाद दशमी के दिन शाम को लंकापति रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है. यह पर्व हमें सीख देता है कि भले ही बुराई और असत्य का कितना ही बोलबाला क्यों न हो, लेकिन अंत में जीत अच्छाई और सच्चाई की ही होती है. इस दिन अस्त्र और शस्त्रों की पूजा करके विजय का पर्व मनाया जाता है.