Pausha Putrada Ekadashi 2024 Wishes: पौष पुत्रदा एकादशी की इन हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

Pausha Putrada Ekadashi 2024 Wishes In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल पौष मास (Pausha Maas) के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi) मनाई जाती है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से इस साल 21 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है. पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत (Pausha Putrada Ekadashi Vrat) योग्य और होनहार संतान की प्राप्ति की कामना से किया जाता है. जिन विवाहित दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है, उनके लिए इस व्रत को लाभकारी बताया गया है. गर्भ न ठहरना या गर्भपात हो जाना जैसी समस्याओं के समाधान के लिए इस व्रत को किया जाता है. महाभारत में इस एकादशी को लेकर एक प्रसंग आता है, जिसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के बारे में वर्णन करने के लिए प्रार्थना की. तब भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए उत्तम है और इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है.

पौष पुत्रदा एकादशी समस्त पापों को हरने वाली और नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति कराने वाली मानी जाती है, इसलिए संतान सुख की कामना से लोग इस व्रत को विधि-विधान से करते हैं. इस दिन श्रीहरि की पूजा-अर्चना की जाती है और शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी किया जाता है. ऐसे में आप भी इस अवसर पर इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर पौष पुत्रदा एकादशी की शुभकामनांएं दे सकते हैं.

1- पौष पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

2- पौष पुत्रदा एकादशी की हार्दिक बधाई

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

3- शुभ पौष पुत्रदा एकादशी

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

4- पौष पुत्रदा एकादशी 2024

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

5- हैप्पी पौष पुत्रदा एकादशी

पौष पुत्रदा एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन प्रात: स्नान करके भगवान विष्णु की माता लक्ष्मी सहित तुलसी दल, रोली, मोली, पीला चंदन, पीले पुष्प, फल, मिष्ठान और धूप-दीप इत्यादि से पूजन करना चाहिए. पूजन के दौरान इस व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए. इसके साथ ही इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाना चाहिए. इसके बाद अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को पारण के लिए किसी योग्य व्यक्ति को भोजन करवाकर तथा उचित दान दक्षिणा देकर  संतुष्ट करना चाहिए.