मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिन व्रत रखने वाले व्रती महाअष्टमी महानवमी के दिन सामर्थ्यानुसार कुंवारी कन्याओं का पूजन एवं भोजन कराकर उनसे आशीअथवार्वाद लेकर उनकी विदाई करते हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो चढ़ती-उतरती अर्थात के नवरात्रिपहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं, वे भी कुंवारी कन्याओं की पारंपरिक ढंग से पूजा करते हैं. मान्यता है कि 9 कन्याओं का पूजा कर हम अप्रत्यक्ष रूप से नौ शक्ति की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. कन्या पूजन के पीछे की अवधारणा क्या है, किन कन्याओं को किस तिथि में भोजन कराना चाहिए और उसका क्या प्रतिफल मिलता है.. आइये जानते हैं. यह भी पढ़ें: Navratri Kanya Pujan 2020 Greetings: कन्या पूजन के शुभ अवसर पर GIF Image Messages, Maa Durga HD Photos, WhatsApp Stickers, Facebook Stickers और SMS भेजकर अपने प्रियजनों को दें शुभकामनाएं
कन्या पूजन का महात्म्य
नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा के दरम्यान महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन एक अति प्राचीन एवं महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इसे 'कुमारिका पूजा' के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि पर नौ कन्याओं की पूजा एवं भोजन कराने से मां आदि शक्ति प्रसन्न होती है और देवी भक्तों को आशीर्वाद देकर, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. शास्त्रों के अनुसार, कन्या-पूजन करने से घर में सुख-शांति बनती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन ज्योतिषियों का मानना है कि महाअष्टमी के दिन घर में हवन कराने के बाद ही कन्या-पूजन करना चाहिए. मान्यतानुसार इन कन्याओं में देवी वास करती हैं, इसलिए इनकी पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ करनी चाहिए.
9 कन्याओं के साथ एक बालक भी हो
अमूमन महाअष्टमी के दिन ही कन्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन कुछ लोग नवमी के दिन कन्या-पूजन करते हैं. इस बार अष्टमी और नवमी दोनों तिथियां टकरा रही हैं, और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि 24 अक्टूबर के दिन ही महाअष्टमी के साथ महानवमी का योग बना है, इसलिए इसी दिन कन्या पूजन करनी चाहिए. महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी की पूजा-अर्चना करने के बाद घर में 9 कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित किया जाता है. 9 कन्याओं को नौ शक्ति तथा एक बालक को भैरव के रूप में पूजा जाता है. तभी नवरात्रि की पूजा सफल मानी जाती है.
कैसे करें पूजन क्या करायें भोजन
घर आयी कन्याओं एवं बालक व्रती को अपने हाथों से पैर धोकर स्वच्छ तौलिये से पोछ कर उन्हें आसन पर बिठायें. उन्हें तिलक लगाकर उनकी कलाई में मौली बांधें. इसके बाद खाना परोसकर उनके सामने हाथ जोड़कर भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करनी चाहिए. इस दिन आमतौर पर कन्याओं एवं बालक को हलवा, पूरी, खीर, पुआ और चने की सब्जी का भोग खिलाया जाता है. अगर लॉकडाउन के कारण इतना संभव नहीं हो तो कन्याओं एवं बालक को फल और मिठाई खिलाना चाहिए. इसके बाद कन्याओं एवं बालक को वस्त्र, उपहार एवं दक्षिणा देकर पूरे सम्मान के साथ विदा करना चाहिए. इस अवसर पर अगर कन्या आपको आशीर्वाद देती है तो इसे साक्षात गौरी का आशीर्वाद माना जाता है.
किन कन्याओं से किस तरह के शुभ फलों की प्राप्ति होती है
नवरात्रि के दिन कन्या-पूजन का महत्व तो है ही, साथ ही कम लोग जानते होंगे कि कन्या की संख्या के हिसाब से भी हमें शुभ फल प्राप्त होते हैं. हिंदू शास्त्रों में उल्लेखित है कि 3 वर्ष से लेकर 9 वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं. 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 की पूजा से भोग और मोक्ष, 3 की पूजा करने से धर्म, अर्थ एवं काम, चार की पूजा करने से राज्यपद, 5 कन्याओं की पूजा करने से विद्या, 6 कन्याओं की पूजा करते हैं तो छह प्रकार की सिद्धियां, 7 कन्याओं की पूजा करने से राज्य, 8 कन्याओं की पूजा से धन-संपदा और 9 कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.