
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर संगम तट की पवित्र भूमि एक ऐतिहासिक बदलाव की गवाह बन रही है. यहां, युवा कन्या बटुकों ने प्रतिदिन होने वाली संध्याकालीन आरती की परंपरा को नई ऊर्जा दी है. इन बालिकाओं द्वारा आरती की अगुवाई न केवल सनातन संस्कृति की गहराई को दर्शाती है, बल्कि नारी सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक प्रतीक भी बन गई है.
पौराणिक मान्यताओं और आधुनिक सोच का सामंजस्य
कुंभ के इतिहास में पहली बार, कन्या बटुकों को संगम पर आरती का नेतृत्व करते हुए देखा जा रहा है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है, जिनकी पवित्रता और तेज से आध्यात्मिक अनुष्ठानों की शुद्धता बढ़ती है. अखाड़ा परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, "यह निर्णय सदियों पुरानी परंपरा को आधुनिक समाज के साथ जोड़ता है. कन्याओं की भागीदारी से आरती में दिव्य ऊर्जा का संचार हो रहा है."
वीडियो वायरल: देखें कन्या बटुकों की मनमोहक आरती
सोशल मीडिया पर इन कन्याओं की आरती के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिनमें वे सफेद वस्त्रों में डूबते सूरज की लालिमा के बीच दीपों से संगम को आलोकित करती नजर आ रही हैं. आरती के दौरान मंत्रोच्चार और घंटियों की ध्वनि के साथ हजारों श्रद्धालु "हर-हर गंगे" का जयघोष करते हैं.
Prayagraj, Uttar Pradesh: At the #MahaKumbh2025, young girls (Kanya Batuks) are leading the daily aarti at the Sangam, showcasing a unique blend of tradition and women’s empowerment pic.twitter.com/unhMAAxYJG
— IANS (@ians_india) January 31, 2025
क्यों है यह बदलाव महत्वपूर्ण?
परंपरागत रूप से आरती जैसे अनुष्ठान पुरुष पुजारियों के नेतृत्व में होते थे. इस परिवर्तन को समाज में बढ़ती लैंगिक समानता और धार्मिक प्रथाओं में महिलाओं की बढ़ती भूमिका के रूप में देखा जा रहा है. स्थानीय निवासी श्रद्धा पांडेय कहती हैं, "यह दृश्य हर लड़की को यह विश्वास दिलाता है कि वह किसी भी भूमिका में पवित्र और सक्षम है."