Kati Bihu 2019: असमिया समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है काटी बिहू, जानिए असम में क्यों मनाया जाता है यह पर्व और क्या है इसका महत्व
काटी बिहू 2019/ प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Kati Bihu 2019: मां दुर्गा की भक्ति और आराधना के पर्व नवरात्रि (Navratri) और दुर्गा पूजा (Durga Puja)  के बाद अब हर कोई दिवाली (Diwali) की तैयारियां जोरों शोरों से कर रहा है. हिंदू धर्म में साल के सबसे बड़े त्योहारों में शामिल दिवाली उत्सव का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. वैसे तो हर कोई दिवाली का जश्न मनाने के लिए तैयार है, लेकिन दिवाली से पहले असम (Assam) के लोग अपना खास पर्व मनाने जा रहे हैं, जिसे काटी बिहू (Kati Bihu) या  कंगोली बिहू (Kongali Bihu) कहा जाता है. असमिया समुदाय (Assamese) में काटी बिहू उत्सव 19 अक्टूबर को मनाया जा रहा है, जिसका जश्न शुरू हो चुका है. इस पर्व को असमिया कैलेंडर के काटी महीने में मनाया जाता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व अक्टूबर महीने में मनाया जाता है.

असम में मनाए जाने वाला बिहू उत्सव तीन प्रकार का होता है. रोंगाली या बोहाग बिहू का त्योहार हर साल अप्रैल महीने में मनाया जाता है, जबकि कोंगाली या काटी बिहू अक्टूबर महीने में और भोगाली या माघ बिहू जनवरी महीने में मनाया जाता है. दरअसल, रोंगाली बिहू के समय अनाज के उत्पादन के लिए खेतों में बीज बोए जाते हैं, लेकिन अनाज की पैदावार होने में 6 महीने का समय लग जाता है. इस पर्व के बाद धीरे-धीरे अनाज के गोदामों में अनाज कम होने लगते हैं और अन्न का अभाव होने लगता है. ऐसे में अक्टूबर महीने में कोंगाली बिहू मनाया जाता है. कोंगाली का अर्थ है कंगाली यानी गरीबी. यह भी पढ़ें: Bohag Bihu 2019: असम का लोकप्रिय त्योहार है बोहाग बिहू, जानिए एक हफ्ते तक मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व और इससे जुड़ी परंपराएं

कोगांली बिहू के दिन लोग अपने खेतों को देखने के लिए जाते हैं और रात्रि के समय तुलसी की पूजा की जाती है. इस दिन असमिया समुदाय के लोग अपने खेतों, बगीचे और तुलसी के पास दीया जलाते हैं. इसके साथ ही धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना की जाती है. परिपक्व धान की रक्षा के लिए किसान बांस के एक टुकड़े को हिलाते हैं और कीटों व बुरी नजर से अपनी फसलों को बचाने के लिए प्रार्थना करते हैं.

गौरतलब है कि कोंगाली बिहू का त्योहार मनाए जाने के करीब तीन महीने बाद खेतों में अनाज की भरमार लग जाती है और फसलों की अच्छी पैदावार की खुशी में जनवरी महीने में माघ बिहू यानी भोगाली बिहू का त्योहार मनाया जाता है. असमिया समुदाय में बिहू त्योहार का बहुत महत्व है, जिसे इस समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते हैं.