Holi 2020: आखिरकार रंगों के पर्व होली (Holi) ने दस्तक दे दी है. होली के दीवाने जहां इस पर्व की मस्ती एवं आनंद उठाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, वहीं बाजार में भी अबीर-गुलाल एवं तरह-तरह के रंगों से दुकानें सज चुकी हैं. अक्सर त्योहार (Festival Of Colors) की खुमारी में लोगबाग ‘एक दिन की ही तो बात है’ सोचकर केमिकल रंगों (Chemical Based Colors) का इस्तेमाल करने में कोताही नहीं बरतते. इसका खामियाजा आपकी त्वचा (Skin) को भुगतना पड़ता है. आपकी नरम-नाजुक त्वचा रेशेज, एलर्जी, दानें, खुजली जैसी त्वचा रोगों से ग्रस्त हो जाती है. होली खेलने के बाद अगर त्वचा में किसी प्रकार की तकलीफ हो रही है तो तुरंत किसी त्वचारोग विशेषज्ञ से मिलें. यहां हम त्वचा की सुरक्षा के संदर्भ में कुछ टिप्स (Skin Care Tips) बता रहे हैं.
होली खेलने से पूर्व शरीर पर नारियल तेल लगाएं
यह सच है कि होली की मस्ती रंगों के बिना अधूरी है. होली रंगों से ही खेलें, लेकिन बेहतर होगा कि घर से बाहर निकलने से पूर्व शरीर पर नारियल तेल लगा लें. नारियल का तेल अन्य तेलों से हल्का होता है, यह त्वचा के ऊपरी परत पर बहुत जल्दी अवशोषित हो जाता है. इस वजह से नुकसान पहुंचाने रासायनिक त्वचा के भीतर नहीं जा पाते. शरीर पर नारियल तेल लगाते समय हलके हाथों से पांच मिनट तक हलके हाथों से मसाज करें. यह भी पढ़ें: Happy Holi 2020 Wishes In Advance: होली से पहले ही दें प्रियजनों को रंगों के पर्व की शुभकामनाएं, भेजें ये शानदार हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Shayaris, GIF, Messages, Photo SMS और वॉलपेपर्स
SPF 50+ सनस्क्रीन त्वचा की रक्षा करता है.
नारियल का तेल त्वचा की ऊपरी परत पर वॉटरप्रूफ का कार्य करती है, यह रंग में मिले केमिकल्स को त्वचा के रोम-छिद्रों में प्रवेश से रोकती है. हां यह अवश्य सुनिश्चित कर लें कि आप जिस सनस्क्रीन का उपयोग कर रहे हैं, वह यूवीए और यूवीबी किरणों को अवरुद्ध करने के लिए SPF 50+ और व्यापक स्पेक्ट्रम ही हो.
बटन वाली शर्ट पहनें
होली से पूर्व अपनी त्वचा पर सन स्क्रीन का लेप लगाने के बाद कॉटन की बनियान अवश्य पहनें. इसके बाद जैकेट अथवा टी-शर्ट के बजाय बटनवाली शर्ट पहनें. रंगों की होली खेलते हुए दिन में एक या दो बार शर्ट अवश्य बदल लें. इससे ऊपर से लगने वाले रंग को शर्ट सोख लेगा और त्वचा सुरक्षित रहेगी. आपकी त्वचा पर रंग का बुरा असर नहीं पड़े, इसके लिए एक उपाय यह भी है कि होली खेलते समय बीच-बीच में अपनी त्वचा को पानी से धोते रहें, इससे त्वचा पर रंगों का बुरा असर नहीं पड़ेगा, साथ ही रंग छुड़ाते समय त्वचा पर ज्यादा प्रेसर नहीं पड़ेगा.
त्वचा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां इस बात का जिक्र करना भी आवश्यक है कि रंग छुड़ाते समय त्वचा को ज्यादा रगड़ें नहीं, वरना त्वचा की स्निग्धता खत्म हो जायेगी और इस पर रेशे आ जायेंगे, जो त्वचा के लिए घातक होते हैं. अगर एक बार में रंग नहीं छूट रहा है तो निश्चिंत रहें, वक्त के साथ धीरे-धीरे रंग का असर चला जायेगा. यह भी पढ़ें: Holi 2020: बरसाना की लट्ठमार होली से डोल यात्रा और जयपुर के हाथी महोत्सव तक, जानें होली से जुड़ी विविध रंगी परंपराएं
केमिकल कलर से कैंसर व अस्थमा जैसे रोग हो सकते हैं
पुराने जमाने में हर्बल रंग घर पर तैयार किए जाते थे, जिसमें टेसू के फूल, गुडहल के फूल, चुकंदर, एनाटो पेड़ की छाल, हल्दी, मेहंदी आदि का इस्तेमाल किया जाता था. जबकि आज बाजार में सिल्वर में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड, ब्लू में क्रुशीयन, कोबाल्ट, ग्रीन में मेलाशाइट, रेड में मरक्यूरिक सल्फाइड और काले रंगों में लेड का इस्तेमाल होता है. इससे डर्मेटाइटिस, कैंसर, अस्थमा, और आंखों में सूजन जैसी घातक बीमारी हो सकती है. यहां तक कि त्वचा में अवशोषित होने पर यह किडनी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.