Chandra Grahan /Lunar Eclipse 2019: बनारस के दशाश्वमेध घाट पर दोपहर में की गई गंगा आरती, देर रात लगेगा 3 घंटे का आंशिक चंद्र ग्रहण
बनारस के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती (Photo Credits: TOI/Twitter))

Chandra Grahan /Lunar Eclipse 2019: मंगलवार (16 जुलाई 2019) को आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के साथ आंशिक चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का नजारा भी देखा जा सकेगा. यह चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) 16-17 जुलाई को देर रात 1.31 बजे शुरु होगा. इस आंशिक चंद्र ग्रहण को सबसे स्पष्ट रूप से सुबह 3 बजे देखा जा सकेगा, जब चंद्रमा का ज्यादातर हिस्सा ढक जाएगा. इस अद्भुत खगोलीय घटना को भारत के अलावा दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा. गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का यह अद्भुत संयोग करीब 149 साल बाद बना है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे महज एक खगोलीय घटना माना जाता है, लेकिन इसकी अपनी धार्मिक मान्यताएं बताई जाती हैं.

चंद्र ग्रहण से पहले मंगलवार की दोपहर करीब 3 बजे भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी (बनारस) में विशेष पूजा-अर्चना की गई. बनारस (Varanasi) के दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) पर गंगा आरती (Ganga Aarti) की गई. बता दें कि सुबह तड़के और संध्या के समय दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की जाती है, लेकिन चंद्र ग्रहण के मद्देनजर दोपहर तीन बजे ही गंगा आरती की गई.

बनारस के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती- 

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान कई नियमों का पालन करना पड़ता है. सूतक और ग्रहण काल के दौरान देवी-देवताओं की पूजा नहीं की जाती है और मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. मध्य रात्रि में चंद्र ग्रहण लगने वाला है, इसलिए सूतक लगने से पहले भगवान की पूजा- अर्चना करके मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Chandra Grahan /Lunar Eclipse 2019: तीन घंटे का आंशिक चंद्रग्रहण आज, भारत सहित इन देशों में देगा दिखाई

बहरहाल, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा असामान्य रूप से नकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं. ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां पृथ्वी पर ज्यादा सक्रिय रहती हैं, इसलिए ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक ऊर्जा को रोकने के लिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. गौरतलब है कि इससे पहले 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का यह अनोखा संयोग बना था.