Sindoor Khela 2020: बिजोया दशमी पर सिंदूर खेला में शामिल हुई बंगाली समुदाय की महिलाएं, देखें पश्चिम बंगाल और असम के दुर्गा पूजा पंडाल से इस पारंपरिक उत्सव की तस्वीरें
सिंदूर खेला (Photo Credits: ANI)

Sindoor Khela 2020: मां दुर्गा (Maa Durga) की उपासना और भक्ति के पर्व शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) का समापन हो चुका है. देश के अधिकांश हिस्सों में 25 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरे (Dussehra) का पर्व मनाया गया तो वहीं पश्चिम बंगाल (West Bangal) और असम (Assam) में आज (26 अक्टूबर) विजयादशमी यानी बिजोया दशमी (Bijoya Dashami) का उत्सव मनाया जा रहा है. दुर्गा पूजा (Durga Puja) उत्सव के आखिरी दिन यानी विजयादशमी के दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं, जिसे पारंपरिक सिंदूर खेला (Sindoor Khela) के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर अपने मायके आती हैं और दशमी तिथि को वे वापस कैलाश के लिए लौट जाती हैं. दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मां दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद दशमी तिथि पर सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा को विदाई दी जाती है.

बिजोया दशमी के दिन सुहागन महिलाएं पारंपरिक परिधान और आभूषण पहनकर तैयार होती हैं. इस दिन देवी दुर्गा की आरती और पूजा अनुष्ठान के बाद सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है. विजयादशमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में महिलाओं ने पारंपरिक सिंदूर खेला का आयोजन करते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और बिजोया दशमी की शुभकामनाएं दी.

पश्चिम बंगाल में सिंदूर खेला का आयोजन

कुछ ऐसा ही नजारा असम के गुवाहाटी के एक दुर्गा पूजा पंडाल में भी नजर आया, जहां महिलाएं विजयादशमी के अवसर पर सिंदूर खेला में हिस्सा लेते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाती नजर आईं. महिलाओं ने सिंदूर लगाकर इस रस्म को अदा किया. यह भी पढ़ें: Subho Bijoya Dashami 2020 HD Images & Wallpapers in Hindi: विजयादशमी पर अपनों को भेजें मां दुर्गा के ये मनमोहक हिंदी GIF Greetings, WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Photo SMS और कहें शुभो बिजोया दशमी

असम में सिंदूर खेला का आयोजन

गौरतलब है कि शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन यानी विजयादशमी के दिन आयोजित किए जाने वाले सिंदूर खेला का बंगाली समुदाय में विशेष महत्व है. बताया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत 450 साल पहले पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में हुई थी. इस दिन महिलाएं मां दुर्गा, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का श्रृंगार कर उनकी पूजा-आरती करती हैं और उसके बाद उन्हें सिंदूर अर्पित करती हैं. फिर सिंदूर खेला के जरिए महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं.