Bhai Dooj 2022: भाई दूज के लिए क्यों माना जा रहा है 26 अक्टूबर श्रेष्ठ दिवस? जानें पर्व का मुहूर्त, विधि एवं पारंपरिक कथा!
भाई दूज 2022 (Photo Credits: File Image)

Bhai Dooj 2022: रक्षा बंधन की तरह भैयादूज भी भाई-बहन के प्यार को सेलिब्रेट करने का भारतीय पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर उसके लंबे एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती है. गौरतलब है कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. चूंकि यह पर्व मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के प्यार और स्नेह से संबंधित है, इसलिए इस पर्व को आध्यात्मिक पर्व मानने से गुरेज नहीं किया जा सकता. यहां ज्योतिष शास्त्री नवीन कौशिक बता रहे हैं कि इस वर्ष भाई दूज 26 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा या 27 अक्टूबर को. साथ ही जानें पर्व का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, एवं पारंपरिक कथा. यह भी पढ़े: Bhai Dooj 2022 Wishes: भाई दूज की इन प्यार भरे हिंदी Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

कब मनाएं भाई दूज 26 या 27 अक्टूबर को?

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को भाई दूज मनाया जाता है. मान्यता अनुसार, इसी दिन यमराज दोपहर बाद अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर भोजन ग्रहण कर उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जो भाई आज के दिन अपनी बहन के घर पूजन-भोजन ग्रहण करेगा, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी. इसलिए भाई दूज का पर्व दोपहर बाद मनाया जाता है. इस बार कार्तिक शुक्लपक्ष में दो दिन द्वितीया पड़ रही है. इस वर्ष 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन यम द्वितीया पड़ रही है. 26 अक्टूबर को 02.43 बजे से 27 अक्टूबर दोपहर 01.18 बजे तक द्वितीया रहेगी. इस तरह 26 अक्टूबर 2022 को भाई दूज मनानी चाहिए. लेकिन अगर आप दूर-दराज रहते हैं और 27 अक्टूबर को भाई दूज मना रहे हैं तो 27 अक्टूबर सुबह 11.06 बजे से दोपहर 12.46 बजे के भीतर ही भाई दूज मना सकते हैं. तभी भाईदूज की यह पूजा आध्यात्मिक रूप से मान्य होगी.

27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने वाले ये उपाय करें.

भाई और बहन इसी दिन गंगा जी में स्नान करें. अगर गंगा नदी उपलब्ध नहीं हैं तो पूरे शरीर में तेल लगाकर घर में ही स्नान कर सकते हैं. इन्हें भी गंगा स्नान जैसा पुण्य प्राप्त होगा.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

शुक्लपक्ष द्वितीया प्रारंभः 02.43 PM (26 अक्टूबर 2022, बुधवार) से

शुक्लपक्ष द्वितीया समाप्तः 01.18 PM (27 अक्टूबर 2022, गुरुवार) तक

भाई को तिलक लगाने का मुहूर्तः 01.12 PM से 03.27 PM (शुक्ल पक्ष द्वितीया) तक

भाई दूज की परंपरागत विधि

भाई दूज के दिन स्नान-ध्यान कर भाई के लिए उसकी पसंद के अनुरूप भोजन तैयार करें. उसके लिए पूजा की थाली तैयार करें. थाली में रोली, अक्षत, नया रूमाल, चंदन, जटा वाला नारियल, फूल, मिठाई एवं आरती का दीपक रखें. अब पूर्व दिशा के एक हिस्से को साफ कर उस पर एक स्वच्छ चौकी स्थापित करें. इस पर भाई को बिठाकर उसके सर पर रूमाल रखें. भाई के हाथों में नारियल, सुपारी एवं पुष्प रखें. उसे रोली और अक्षत का तिलक लगाएं, उस पर पुष्प छिड़कें. अब उसकी आरती उतारकर उसे मिष्ठान खिलाएं. ईश्वर से भाई के लंबे एवं स्वस्थ जीवन की कामना करे. अब भाई बहन को उसकी सुरक्षा का वचन देते हुए उसे कुछ उपहार भेंट करें.

भाई दूज की पारंपरिक कथा

धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की पुत्री यमुना अपने भाई यमराज को अक्सर घर पर भोजन हेतु आमंत्रित करती, लेकिन अति व्यस्त यम बहन से नहीं मिल पा रहे थे. मान्यता अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को दोपहर के समय यम यमुना के घर पहुंचे. यमुना ने प्रसन्नचित्त मन से भाई को तमाम पकवान खिलाये, और जाते समय तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना की. यम बहन के स्वागत सत्कार से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा. यमुना ने कहा, हे भाई यम आज के दिन जब भी कोई भाई अपनी बहन के घर जाये तो उसे जिंदगी भर अकाल मृत्यु का भय नहीं रहे. कहते हैं कि इसी दिन से भाईदूज का परंपरा शुरू हुई.