नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट (SC) ने पिछले महीने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटाते हुए मंदिर में हर उम्र की महिलओं को जाने को लेकर फैसला सुनाया था. कोर्ट के इस फैसले के विरोध में नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. इस याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आई थीं वह अयप्पा भक्त नहीं हैं. ये फैसला लाखों अयप्पा भक्तों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है. इसलिए उनके इस याचिका पर कोर्ट को फिर से विचार करना चाहिए.
बता दें कि कोर्ट के इस फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अभी भी बवाल जारी है. केरल के अलग- अगल हिस्सों में अभी भी महिलाएं प्रदर्शन कर रही है. प्रदर्शन करने वाले लोगों की मांग है कि मंदिर में महिलाओं का जाने पर फिर से रोक लगाई जाए. कोर्ट के इस फैसले को लेकर एक महिला तो यहां तक की उसने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आत्मदाह करने का प्रयास किया था. लेकिन समय रहते पुलिस ने उसे बचा लिया था. फैसले के विरोध में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अदालत भगवान अयप्पा से बड़ी नहीं है. इसलिए कोर्ट को अपने फैसले को लेकर पुन: विचार करना चाहिए. यह भी पढ़े: सबरीमाला पर दिए फैसले के खिलाफ शिवसेना, 1 अक्टूबर को किया बंद का आह्वान
Supreme Court verdict over women's entry in Kerala's #SabarimalaTemple: National Ayyappa Devotee association files a review petition in the Supreme Court challenging the earlier verdict of the Court.
— ANI (@ANI) October 8, 2018
क्या है पूरा मामला
केरल के सबरीमाला मंदिर में कोर्ट के फैसले से पहले केरल के सबरीमाला मंदिर में दस साल से पच्चास साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में आने जाने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबन्ध था. खासकर इस मंदिर में 15 साल के ऊपर की लड़कियां और महिलाओं को जाने की इजाजत नही थी. अब तक इस मंदिर में छोटी उम्र की बच्चियां और सिर्फ बूढी महिलाओं को ही आने जाने की इजाजत थी.