धूप का प्रकोप, लू की तपिश, पारा चढ़ता जा रहा है और शहर एक तंदूर बनता जा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस चिलचिलाती धूप में अलग-अलग जगहों का तापमान कितना होता होगा? दूरदर्शन की टीम ने एक अनोखे प्रयोग के ज़रिए इस सवाल का जवाब ढूंढा है और नतीजे चौंकाने वाले हैं.
कल्पना कीजिए, आप गाड़ी से जा रहे हैं और आपके पैरों तले सड़क मानो आग उगल रही हो! दूरदर्शन टीम ने जब डामर वाली सड़क पर थर्मामीटर रखा तो पारा 71 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा! जी हां, आपने सही सुना - 71 डिग्री! इतनी गर्मी में तो खाने का तेल भी जलने लगे.
अब सोचिए, वहीं पास में अगर सीमेंट कंक्रीट (RCC) की सड़क हो तो क्या फर्क पड़ेगा? टीम ने जब वहां तापमान मापा तो थर्मामीटर ने 64.6 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा छुआ. यानी राहत तो मिली, लेकिन यह राहत भी बस सांत्वना भर ही थी.
Save tree and save Environment and Life
વૃક્ષ 45 ડિગ્રી ગરમીમાં હોવા છતાં 6 ડિગ્રી તાપમાન ઘટાડે છે જો ઘણા હોય તો તાપમાન ઘણું નીચું આવે .#ddgirnar , #PMO #envywear #entertainmentreels pic.twitter.com/z0dFAJiASh— Amrut v thakor (@amrutvthakor) May 23, 2024
अब आखिर में उस जगह की कल्पना कीजिए जहां हर कोई जाना चाहता है - पेड़ की छांव! टीम ने जब पेड़ की घनी छाया में तापमान मापा तो थर्मामीटर ने 39.9 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा दिखाया. यानी तपती सड़क और पेड़ की छाया में 30 डिग्री से भी ज़्यादा का अंतर!
ગુજરાતમાં ગરમી વધી, ભુજમાં 40 ડિગ્રી સાથે 71 વર્ષનો રેકોર્ડ તૂટ્યો, વધુ જાણવાા ક્લિક કરો... https://t.co/Tnk8rTYaLf #ગુજરાત #Gujarat #Bhuj #Weather #Summer @IMDWeather— ETVBharat Gujarat (@ETVBharatGJ) February 17, 2023
यह प्रयोग हमें एक ज़रूरी संदेश देता है. एक ओर जहाँ डामर और सीमेंट के जंगल हमारे शहरों को भट्टी बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पेड़ हमें जीवनदायिनी शीतलता प्रदान करते हैं. यह समय सोचने का है कि हम अपने शहरों को कैसे बनाना चाहते हैं - कंक्रीट के जंगल या फिर हरे-भरे पेड़ों से सजे सुहावने बाग? चुनाव हमारे हाथ में है.