नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसी ने चक्रवाती तूफान 'फानी' (Cyclone Fani) से निपटने को लेकर की गई भारत की तैयारियों की सराहना की है. एजेंसी का कहना है कि 'फानी' एक बड़ी आपदा बन सकती थी लेकिन भारतीय मौसम विभाग की शुरुआती चेतावनियों के कारण इसके प्रभाव को कम किया जा सका. यही तैयारियां शक्तिशाली चक्रवाती तूफान से होने वाली जान-माल की हानि में कमी का मुख्य कारण बना.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तूफान फानी से ओडिशा में मरने वालों की संख्या 8 से 10 हो गई है. फानी के कारण ओडिशा के सभी तटीय जिलों में तेज हवाओं के साथ आई भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ. तूफान के कारण बहुत सारे पेड़ और सड़कों पर लगे खम्बे उखड़ गए. कई घरों की छत तेज़ आंधी में उड़ गई और कई इलाकों में पानी भर गया. ग्रीष्मकालीन फसलों और बागानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है.
अधिकारियों ने बताया कि फोनी तूफान के शुक्रवार को ओडिशा में दस्तक देने के बाद अत्यधिक बारिश होने के साथ ही 175 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. ओडिशा में तबाही मचाने के कुछ घंटों बाद फानी ने मध्यरात्रि में पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया. इसके कारण वहां भारी बारिश होने लगी और तूफान में पेड़ उखड़ते चले गए. यह पिछले कई दशकों में भारतीय उपमहाद्वीप पर आया सबसे शक्तिशाली तूफान है.
पश्चिम बंगाल के लोगों ने तब राहत की सांस ली जब चक्रवात फोनी शनिवार की सुबह कमजोर पड़ गया. अब यह पड़ोसी बांग्लादेश की ओर बढ़ रहा है. क्षेत्रीय मौसम केंद्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहर में रात में 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और मध्यम से भारी बारिश हुई. बांग्ला में इस तूफान का नाम ‘फोनी’ उच्चारित किया जाता है, जिसका अर्थ ‘सांप का फण’ है.
फिलहाल सभी जगहों पर सड़क संपर्क बहाल करने के लिए कार्य जारी है. नुकसान का सही आकलन करने में अभी वक्त लगेगा.
फानी को ऐसे दी मात-
सरकार ने चक्रवात आने से पहले करीब 10,000 गांवों और 52 शहरी इलाकों से करीब 11 लाख लोगों को हटा लिया था जो देश में प्राकृतिक आपदा के समय संवेदनशील जगहों से लोगों को निकालने का संभवत: अब तक का सबसे बड़े पैमाने पर किया गया बचाव कार्य है. सभी लोगों को 4,000 से अधिक शिविरों में ठहराया गया हैं जिनमें से विशेष रूप से चक्रवात के लिये बनाये गये 880 केंद्र शामिल हैं.
इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), नौसेना, तटरक्षक बल, सेना और वायु सेना के बचाव कर्मियों को तैनात किया गया था. राज्य के साथ ही केंद्र सरकार भी लगातार स्थिति पर करीबी नजर रख रही थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय नियंत्रण कक्ष में हेल्पलाइन नंबर 1938 शुरू किया गया था. एनडीआरएफ ने 60 टीमों को तैनात किया है जबकि 25 टीमों को तैयार रखा है.
भारतीय नौसेना ने राहत कार्यों के लिए पूर्वी तट पर छह पोतों को तैनात किया था जबकि पांच पोतों, छह विमानों और सात हेलीकॉप्टरों को विशाखापत्तनम में तैयार रखा गया था. वहीं, भारतीय वायु सेना ने राहत कार्यों के लिए दो सी-17 विमान तैनात किए जबकि दो सी-130 और चार एएन-32 विमानों को तैयार रखा था. भारतीय तटरक्षक बल ने छह पोत तैनात किए और छह पोतों को तैयार रखा था.