पुलवामा: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के बटगुंड त्राल क्षेत्र में एक श्रमिक, प्रीतम सिंह, को अज्ञात आतंकवादियों ने गोली मारकर घायल कर दिया. यह घटना क्षेत्र में सुरक्षा बलों की उपस्थिति के बीच हुई, जिससे स्थानीय लोगों में चिंता और भय का माहौल बन गया है.
प्रीतम सिंह, जो उत्तर प्रदेश से काम करने के लिए जम्मू-कश्मीर आया था, अचानक हुए इस हमले का शिकार हो गया. मजदूर के हाथ में गोली लगी है. प्रीतम सिंह को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। पिछले एक सप्ताह में कश्मीर में गैर-स्थानीय मजदूरों पर लगातार हमले हो रहे है.
गोलीबारी की घटना ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है. घायलों को तत्काल अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, और उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी अभी प्रतीक्षित है.
सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद, सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है. उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और क्षेत्र में शांति बनी रहे. सुरक्षा बलों का मुख्य उद्देश्य है कि वे स्थानीय लोगों को सुरक्षा प्रदान करें और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.
#WATCH | J&K: A labourer from Uttar Pradesh, Pritam Singh was shot and injured by unidentified terrorists in Batgund Tral area of Pulwama district. Security personnel present in the area. Details awaited. pic.twitter.com/SBJPs33Ysb
— ANI (@ANI) October 24, 2024
इससे पहले, गांदरबल में श्रीनगर-लेह हाईवे पर सोनमर्ग के पास गगनगीर इलाके में जेड मोड़ सुरंग निर्माण कर रही कंपनी में कार्यरत प्रवासी मजदूरों पर रविवार की रात आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें एक डॉक्टर और छह मजदूरों की मौत हो गई थी. मारे गए मजदूरों में कश्मीरी और गैर कश्मीरी दोनों हैं.
प्रवासी मजदूरों पर हाल के वर्षों का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है. आतंकी दो बताए जा रहे हैं. यह वारदात शोपियां में बिहार के मजदूर अशोक चौहान के आतंकी हमले में मारे जाने के एक दिन बाद हुई.
कश्मीर में बड़ी संख्या में हैं बाहरी मजदूर
कश्मीर के अलग-अलग जिलों में चलने वाली तमाम बड़ी परियोजनाओं में प्रवासी मजदूर काम करते हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब के मजदूर कश्मीर में सेब के बगीचों और इसकी पैकिंग में काम करते हैं. इसके अलावा निर्माण कंपनियों के विभिन्न प्रोजेक्ट में भी ये काम करते हैं. कश्मीर में फल-सब्जी बेचने वालों में भी इनकी बड़ी संख्या है. रेलवे की योजनाओं में भी इन मजदूरों से काम लिया जाता है.