SC के रिटायर जज अरुण कुमार मिश्रा ने NHRC अध्यक्ष के तौर पर संभाला पदभार
अरुण कुमार मिश्रा (Photo Credits: Twitter)

National Human Rights Commission: उच्‍चतम न्‍यायालय (Supreme Court) से सेवानिवृत्‍त हो चुके न्‍यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा ने राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के अध्‍यक्ष का पदभार ग्रहण किया. इनकी नियुक्ति राष्‍ट्रपति चयन समिति की सिफारिश के आधार पर रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) के द्वारा की गई है. इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) हैं. इस चयन समिति में गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला, राज्‍यसभा के उपसभापति हरिवंश और राज्‍यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हैं.

इससे पहले न्यायाधीश एचएल दत्तू थे अध्यक्ष

इससे पहले न्यायाधीश एचएल दत्तू राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे थे. दिसंबर में उनके सेवानिवृत्त हो जाने के बाद से एनएचआरसी में अध्यक्ष का पद खाली था. तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी इस पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन समिति ने न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा के नाम पर मुहर लगाई.बता दें, न्‍यायमूर्ति अरूण कुमार मिश्रा पिछले वर्ष सितम्‍बर में ही सेवानिवृत्‍त हुए थे.

वकील परिवार में हुआ था जन्म

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष का जन्म एक वकील परिवार में हुआ था. उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद लॉ की डिग्री हासिल की. उन्होंने 1978 में अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी. 1998-99 में वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने. यह भी पढ़ें: यूपी में बीजेपी का महामंथन, सामाजिक सरोकारों पर जोर, कार्यकर्ताओं में बनेगी एकजुटता

2014 में पदोन्नति के बाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचें

न्‍यायमूर्ति अरूण कुमार मिश्रा ने अक्टूबर 1999 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था. इसके बाद उन्होंने 2010 में राजस्थान हाईकोर्ट और उसके बाद 2012 में कलकत्ता हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दी. इसके बाद वह पदोन्नति ग्रहण करने के बाद 7 जुलाई 2014 को सर्वोच्च न्यायालय आए.

क्या है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग?

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन 12 अक्टूबर, 1993 को हुआ था. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप हुआ है. इन सिद्धांतों को अक्टूबर 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए आयोजित पहली अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था. इसे 20 दिसम्बर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 48/134 के रूप में समर्थन प्राप्त हुआ था. इस आयोग का उद्देश्य मानव अधिकारों का संरक्षण एवं संवर्द्धन से संबंधित मुद्दे उठाना है.