बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक बालिका आश्रय गृह में कई लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी एनजीओ के मालिक ब्रजेश ठाकुर को यहां की एक अदालत ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने 20 जनवरी को ठाकुर और नौ महिलाओं समेत 19 आरोपियों को दोषी ठहराया था. आरोपियों में आठ महिला और 12 पुरुष शामिल हैं. ठाकुर मामले में मुख्य आरोपी था. आरोपियों में बालिका गृह के कर्मचारी और बिहार सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं.
बिहार पीपुल्स पार्टी के पूर्व विधायक ठाकुर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(दुष्कर्म), 376 डी(सामूहिक दुष्कर्म), 323(जानबूझकर चोट पहुंचाना), 120बी(आपराधिक साजिश) और 109(उकसाने) के मामले में दोषी ठहराया गया है. उसे पोक्सो अधिनियम की धारा 16 और 17 के तहत और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के अंतर्गत भी दोषी ठहराया गया था.
Muzaffarpur shelter home case: Delhi's Saket court awards life imprisonment to 11 convicts including Brajesh Thakur and three women. The court also slaps a fine of around Rs 32 Lakhs on Thakur. https://t.co/Wp5SmyNNKm
— ANI (@ANI) February 11, 2020
मामला ठाकुर के सरकार द्वारा वित्तपोषित एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति से जुड़ा हुआ है, जहां कई लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं को टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान(टीआईएसएस) के छात्रों ने उजागर किया था. ठाकुर सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम के एनजीओ का मालिक था और बालिका गृह चलाता था. यह मामले तब सामने आया, जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया कि यहां की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं हुई हैं.