Delhi Ridge Trees Cut: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Lt. Governor V.K Saxena) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी कि दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए कोर्ट की अनुमति जरूरी है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उनसे इस मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने पूछा था कि क्या एलजी को यह नहीं पता कि रिज क्षेत्र में बिना कोर्ट की अनुमति के 1,100 पेड़ काटे गए और उन्होंने इस पर क्या कदम उठाए. अपने हलफनामे में उपराज्यपाल ने बताया कि जब वह स्थल पर मौजूद थे, तो वहां किसी ने उन्हें यह नहीं बताया कि पेड़ों की कटाई के लिए कानूनी अनुमति की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण की अनुमति संबंधित प्राधिकरण से अभी प्राप्त होनी बाकी है, जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को अरावली के विस्तार परियोजना में तेजी लाने का निर्देश दिया था.
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उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें यह जानकारी मार्च 2024 में मिली जब दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से एक समिति गठित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाना था. उपराज्यपाल ने कहा, "हालांकि यह एक गलती थी, लेकिन यह काम सार्वजनिक हित में किया गया था."
उपराज्यपाल, ने बताया कि DDA ने पहले ही एक समिति का गठन कर दिया है, जिसने सभी संबंधित अधिकारियों और ठेकेदार के साथ इस मामले की विस्तृत जांच की. जांच में जिन अधिकारियों ने पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, उनकी पहचान कर ली गई है. उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू किए गए अवमानना मामले से DDA के उपाध्यक्ष को मुक्त किया जाए, क्योंकि वह 16 फरवरी से 26 फरवरी तक AIIMS में इलाज करा रहे थे. उपराज्यपाल ने कहा कि जब उन्होंने 3 फरवरी को साइट का निरीक्षण किया था, तब उपाध्यक्ष अपनी "आधिकारिक व्यस्तताओं" के कारण उपस्थित नहीं थे. सक्सेना ने बताया कि कुल 174 पेड़ गैर-वन क्षेत्र में और 468 पेड़ वन क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए काटे गए थे.