नई दिल्ली: हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए गए आरोपों को चुनाव आयोग (ECI) ने "बेबुनियाद, गलत और तथ्यहीन" करार दिया है. मंगलवार को कांग्रेस को भेजे गए एक पत्र में चुनाव आयोग ने पार्टी से बिना आधार के चुनाव के बाद आरोप लगाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की अपील की. आयोग ने चेतावनी दी कि मतदान और गिनती के संवेदनशील समय के दौरान इस तरह के निराधार आरोप लगाने से जनता में असंतोष और अराजकता फैल सकती है.
चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर हरियाणा के सभी 26 विधानसभा क्षेत्रों की पुनः सत्यापन प्रक्रिया का विवरण दिया. आयोग ने बताया कि चुनाव के हर चरण में कांग्रेस उम्मीदवारों के अधिकृत प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई थी, जिसमें बैटरी की स्थिति से लेकर ईवीएम के कमिशनिंग और गिनती के दौरान तक की सभी प्रक्रियाएं शामिल थीं. आयोग ने कांग्रेस द्वारा उठाए गए ईवीएम बैटरी लेवल से जुड़े मुद्दों को “पूर्वाग्रह” करार देते हुए स्पष्ट किया कि बैटरी का स्तर वोट काउंटिंग पर कोई प्रभाव नहीं डालता.
ECI ने कहा, "कंट्रोल यूनिट में दिखाई देने वाला बैटरी स्तर तकनीकी टीम को केवल पावर लेवल की निगरानी के लिए है, ताकि मतदान के दौरान निर्बाध संचालन सुनिश्चित हो सके."
बता दें कि कांग्रेस ने गिनती के दिन कुछ ईवीएम मशीनों में 99 प्रतिशत और अन्य में 60-70 प्रतिशत बैटरी लेवल होने का मुद्दा उठाया था. इस पर आयोग ने कहा कि बैटरी लेवल केवल तकनीकी सहायता के लिए है और इसका वोटों की गिनती से कोई संबंध नहीं है. आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में एक विस्तृत FAQ भी जारी किया है, जिसमें ईवीएम बैटरी की कार्यप्रणाली, बैटरी के प्रकार, वोल्टेज की भूमिका और चुनावी प्रक्रिया में इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है.
ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर जोर
चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम भारतीय चुनाव प्रणाली का एक मजबूत आधार है और इस पर बार-बार संदेह करने से न केवल जनता का विश्वास डगमगाता है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है. आयोग ने बताया कि संवैधानिक अदालतों द्वारा 42 मामलों में ईवीएम की कार्यप्रणाली का समर्थन किया गया है, और यह भारत के विविध राजनीतिक परिणामों को सुनिश्चित करने में सक्षम है.
कांग्रेस की शिकायतों का जवाब
हरियाणा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात की और 20 शिकायतों की सूची सौंपी, जिसमें 7 विशेष क्षेत्रों से लिखित शिकायतें भी शामिल थीं. चुनाव आयोग ने इन शिकायतों को संज्ञान में लेकर 1642 पृष्ठों के साक्ष्यों के साथ कांग्रेस को जवाब भेजा.