एयरसेल-मैक्सिस मामला: पी चिदंबरम और बेटे कार्तिक के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सीबीआई, ईडी को 4 मई तक का वक्त कोर्ट ने दिया
पी.चिदंबरम (Photo Credits-IANS)

नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सीबीआई और ईडी को चार मई तक का वक्त दे दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ को बताया कि इस मामले में चार देशों को अनुरोध पत्र (लैटर्स रोगेटरी) भेजे गए हैं और उनके जवाब का इंतजार है. जांच एजेंसी के आग्रह पर अनुरोध पत्र अदालतें जारी करती हैं. यह तब जारी किए जाते हैं जब जांच एजेंसी को किसी दूसरे देश से किसी सूचना की आवश्यकता होती है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 14 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत में एयरसेल-मैक्सिस मामले में अपनी जांच की स्थिति की रपट दाखिल की. ईडी ने कहा कि इस मामले में अभी भी सक्रियता से जांच जारी है वहीं सीबीआई ने बताया कि जांच के संबंध में एक न्यायिक अनुरोध-पत्र मलेशिया भेजा गया है और उसे वहां से उसका जवाब मिलने का इंतजार है.

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर एयरसेल-मैक्सिस मामले पर अदालत ने 28 जनवरी को फिर से सुनवाई शुरू की. अदालत ने पिछले वर्ष पांच सितंबर को इस मामले की सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं की थी और इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया था. अदालत ने कहा था कि दोनों जांच एजेंसियां बार-बार स्थगन की मांग कर रही हैं. यह भी पढ़े-एयरसेल-मैक्सिस मामला: पी चिदंबरम और बेटे कार्तिक के खिलाफ जांच पूरी करने के ईडी- सीबीआई ने मांगा दिल्ली कोर्ट से समय

अदालत ने 28 जनवरी को स्वत: संज्ञान लेकर मामले दोनों एजेंसियों से जांच की मौजूदा स्थिति पर रपट दाखिल करने के लिए कहा था. तब दोनों एजेंसियों ने और समय की मांग की थी जिसके बाद अदालत ने उन्हें दो सप्ताह का समय दिया था. इसके अलावा, अदालत ने चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति को अग्रिम जमानत भी दे दी थी। इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई जिस पर चार मार्च को सुनवाई होगी.

जांच एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि कार्ति चिदंबरम को 2006 में एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिए विदेश निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी कैसे मिली. उस वक्त उनके पिता पी.चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे.

सीबीआई और ईडी का आरोप है कि संप्रग सरकार के वक्त वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाते हुए इस सौदे को मंजूरी दी और उसके बदले में घूस ली.