मुंबई: सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त शमशेर खान पठान (Shamsher Khan Pathan) ने दावा किया है कि मुबंई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Param Bir Singh) ने 26/11 आतंकी हमले (26/11 Terror Attack) के दोषी मोहम्मद अजमल कसाब से जब्त किए गए मोबाइल फोन को ''नष्ट'' कर दिया था. पठान ने जुलाई में मुंबई पुलिस आयुक्त को लिखित शिकायत देकर पूरे मामले की जांच कराए जाने और सिंह के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की थी. परमबीर सिंह पहुंचे मुंबई, अपराध शाखा ने करीब सात घंटे की पूछताछ
पठान ने करीब चार महीने पहले ये शिकायत दी थी, हालांकि, बृहस्पतिवार को जबरन वसूली के मामले में परमबीर सिंह के मुंबई अपराध शाखा के समक्ष पेश होने के बीच ये शिकायत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. परमबीर सिंह को इस साल मार्च में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाया गया था और उनके स्थान पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत नगराले ने पदभार संभाला था.
अपनी शिकायत में पठान ने कहा है कि डी.बी. मार्ग थाने के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक एन.आर. माली ने उन्हें सूचित किया था कि उन्होंने कसाब के पास से एक मोबाइल फोन जब्त किया है और फोन को कांबले नाम के कांस्टेबल को सौंपे जाने की बात कही थी.
I wrote a letter regarding this in July this year. He (Param Bir Singh) should be arrested by NIA for the destruction of evidence. He must have sold this recovered evidence to ISIS or may have used the information for extortion: Retired ACP Shamsher Khan Pathan pic.twitter.com/pVKCQqVbXT
— ANI (@ANI) November 26, 2021
पठान ने आरोप लगाया कि आतंकवाद-निरोधक दस्ते के तत्कालीन डीआईजी परमबीर सिंह ने कांस्टेबल से मोबाइल फोन ले लिया था. उन्होंने शिकायत में दावा किया है कि फोन आतंकी हमले के जांच अधिकारी रमेश महाले को सौंपा जाना चाहिए था, लेकिन सिंह ने ''साक्ष्य के महत्वपूर्ण टुकड़े को नष्ट कर दिया.''
पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा "मैंने इस साल जुलाई में इस संबंध में एक पत्र लिखा था. उन्हें (परम बीर सिंह) सबूतों को नष्ट करने के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए. सिंह ने कसाब से इस बरामद सबूत को ISIS को बेच दिया होगा या हो सकता है कि उन्होंने जबरन वसूली के लिए इसकी जानकारी का इस्तेमाल किया हो." हालांकि, पूरे मामले पर परमबीर सिंह की टिप्पणी सामने नहीं आयी है.
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से आये आतंकी कसाब को 13 साल पहले मुंबई में कई जगहों पर हुए आतंकी हमले के दौरान जिंदा पकड़ा गया था. उच्चतम न्यायालय द्वारा उसकी मौत की सजा की सुनवाई और पुष्टि के बाद, उसे नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई थी.