लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार 2.0 की संसद का पहला सत्र शुरू हो चुका है. जिसमें आज शुक्रवार को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तीन तलाक बिल पेश करेंगे. 17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बिल होगा. सरकार के पिछले कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था लेकिन यह राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था. मोदी सरकार के इस बिल को एक तरफ समर्थन मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी किया जा रहा है.
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में यह बिल लोकसभा में पास हो गया था. पत्नी को इंस्टेंट तीन तलाक देने वाले मुस्लिम शख्स को तीन साल सजा का प्रावधान इस बिल में है. लेकिन राज्यसभा में संख्याबल कम होने के कारण बिल पास नहीं हो पाया. विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि इसे पुनरीक्षण के लिए संसद की सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. लेकिन सरकार ने यह मांग खारिज कर दी.
बिल के विरोध में कांग्रेस
तीन तलाक मुद्दे पर कांग्रेस का कहना है कि वह संसद में इस विधेयक का विरोध करेगी. कांग्रेस का कहना है कि विधेयक के कुछ प्रावधानों पर चर्चा की जरूरत है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'तीन तलाक पर हमने कुछ बुनियादी मुद्दे उठाए हैं.
सिंघवी ने कहा, सरकार कई बिंदुओं पर सहमत हुई है.' उन्होंने कहा, 'बहुत सारा समय बच सकता है. अगर सरकार हमारे पहले के बिंदुओं पर सहमत हो गई होती.' सिंघवी का कहना है, 'अभी भी एक या दो बिंदु बचे हैं और उन बिंदुओं पर चर्चा की जरूरत है.
जेडीयू भी विरोध में
नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में हो. लेकिन पार्टी तीन तलाक मुद्दे पर राज्यसभा में एनडीए का समर्थन नहीं करेगी. बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा, जेडीयू इसके विपक्ष में है और हम लगातार इसके खिलाफ खड़े रहेंगे." रजक ने कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है और समाज के जरिए इसका हल निकाला जाना चाहिए. बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी तीन तलाक बिल का विरोध कर चुके हैं.