जालना, 14 अक्टूबर: आरक्षण पर पीछे नहीं हटने की कसम खाते हुए मराठा नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने शनिवार को घोषणा की, महाराष्ट्र सरकार के पास अपने वादे पूरे करने के लिए केवल 10 दिन हैं और यदि वह विफल रही तो किसी भी परिणाम के लिए वह जिम्मेदार होगी. जारांगे-पाटिल ने अंतरवली-सारती गांव में मराठों की विशाल भीड़ के सामने कहा, ''हम अब और इंतजार नहीं करेंगे… सरकार को हमें कोटा देना ही होगा. मैंने अपना वचन दे दिया है और मैं इसके लिए अपनी जान दे दूंगा. यह या तो मेरी शव यात्रा होगी या मराठा विजय मार्च होगा.''
खुले मंच पर हाथ में माइक्रोफोन लेकर अपने सामने मौजूद भारी भीड़ का 360 डिग्री दृश्य दिखाते हुए मराठा नेता ने बताया कि अपनी 17 दिनों की भूख हड़ताल के बाद उन्होंने राज्य सरकार को मांगों को लागू करने के लिए 40 दिन का समय दिया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है. जारांगे-पाटिल ने कहा कि एक महीना बीत गया, 10 दिन बचे हैं। हम मराठा आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा के भीतर चाहते हैं. यह भी पढ़े: कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी रोकें, प्रदर्शनकारियों की सेहत का ध्यान रखें: मराठा आरक्षण पर अदालत ने कहा
हमारी मांग है कि मराठों को 'ओबीसी' घोषित किया जाए और तदनुसार कोटा दिया जाए. अगर सरकार हमारे लिए 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाती है, तो यह स्वीकार्य होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य नेताओं से 'मराठा मुद्दे को गंभीरता से लेने' तथा शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण को सक्षम करने के लिए समुदाय को ओबीसी में शामिल करने का आह्वान किया। वह 22 अक्टूबर को अपनी अगली रणनीति बताएंगे.
उन्होंने कहा, ''मैं मोदी, शाह और शिंदे से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि हमें हमारा अधिकार दें। हमें बेवजह परेशान मत करो. हमने इतने साल इंतजार किया है. हम और इंतजार नहीं कर सकते। हमें अगली पीढ़ी के हितों की रक्षा करनी है. हम अभी शांत हैं, लेकिन यह नहीं कह सकते कि कल क्या होगा। यह अंतिम अल्टीमेटम है.''
उन्होंने सवाल किया कि कोटा के लिए कोई सर्वेक्षण क्यों नहीं किया गया और मुख्यमंत्री से आरक्षण के मुद्दे पर पिछले महीने नियुक्त की गई समिति के काम को रोकने, मराठों को ओबीसी घोषित करने और कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आह्वान किया ताकि उन्हें कोटा मिल सके.
जारांगे-पाटिल ने मराठा आरक्षण पर विरोधी रुख अपनाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एपी) के मंत्री छगन भुजबल और कार्यकर्ता वकील गुणरतन सदावर्ते की भी आलोचना की. जहां भुजबल ने शनिवार की मेगा-रैली के लिए फंडिंग के स्रोतों पर सवाल उठाया है, वहीं सदावर्ते ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है. जारांगे-पाटिल ने कहा कि उन्होंने उन्हें नजरअंदाज करने का फैसला किया है.