सिनेमाघर में लंबे विज्ञापन दिखाने पर कोर्ट पहुंचा शख्स, अदालत ने PVR पर लगाया 1 लाख का जुर्माना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Pixabay)

सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले लंबे विज्ञापन दिखाने की परंपरा अब महंगी साबित हो सकती है. बेंगलुरु की एक उपभोक्ता अदालत ने PVR सिनेमाज और INOX (अब PVR के साथ विलय हो चुका है) को आदेश दिया है कि वे अपने सिनेमाघरों में फिल्म के वास्तविक समय को टिकट पर स्पष्ट रूप से दर्शाएं, ताकि दर्शकों को अनावश्यक विज्ञापनों में समय बर्बाद न करना पड़े.

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बेंगलुरु के निवासी अभिषेक एम आर ने PVR सिनेमाज, INOX और बुक माय शो के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत दर्ज करवाई थी. उनका कहना था कि उन्होंने 26 दिसंबर 2023 को फिल्म "सैम बहादुर" देखने के लिए 4:05 बजे का शो बुक किया था. लेकिन जब वे थिएटर पहुंचे, तो फिल्म अपने निर्धारित समय पर शुरू नहीं हुई.

इसके बजाय, 4:05 से 4:28 तक (करीब 25 मिनट) लगातार विज्ञापन दिखाए गए और फिल्म 4:30 पर शुरू हुई. इससे उनका प्लान प्रभावित हुआ, क्योंकि उन्हें 6:30 बजे तक अपने काम पर लौटना था.

अदालत का सख्त रुख

उपभोक्ता अदालत ने PVR और INOX के इस व्यवहार को अनुचित व्यापार प्रथा (Unfair Trade Practice) करार दिया और कहा, "आज के युग में समय ही पैसा है. किसी को भी दूसरों के समय और पैसे का अनुचित लाभ उठाने का अधिकार नहीं है. 25-30 मिनट यूंही बैठकर बेकार विज्ञापन देखना किसी भी व्यस्त व्यक्ति के लिए मुश्किल है."

PVR और INOX पर लगा जुर्माना

अदालत ने PVR और INOX पर 1 लाख रुपये का दंड (Punitive Damage) लगाया, जिसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करवाने के आदेश दिए गए हैं. इसके अलावा, शिकायतकर्ता अभिषेक को 20,000 रुपये मानसिक पीड़ा और असुविधा के लिए और 8,000 रुपये कानूनी खर्चों के लिए दिए जाने का आदेश दिया गया.

कोर्ट ने दिए ये महत्वपूर्ण निर्देश

  • सिनेमाघर अब टिकट पर वास्तविक मूवी स्टार्ट टाइम लिखेंगे.
  • फिल्म के तय समय के बाद कोई भी विज्ञापन नहीं चलाया जाएगा.
  • PVR और INOX अनावश्यक और लंबे विज्ञापन दिखाने की अनुचित व्यापार प्रथा बंद करें.

PVR और INOX की सफाई

PVR और INOX ने तर्क दिया कि उन्हें सरकार द्वारा जनहित में जारी किए जाने वाले संदेश (Public Service Announcements - PSAs) दिखाने की कानूनी बाध्यता है. लेकिन अदालत ने पाया कि सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार ऐसे PSAs की अधिकतम अवधि सिर्फ 10 मिनट होनी चाहिए. जबकि अभिषेक के मामले में 95 फीसदी विज्ञापन कमर्शियल थे, न कि सरकारी जनहित संदेश.

अदालत ने खारिज किए थिएटर के तर्क

PVR और INOX ने यह भी कहा कि लंबे विज्ञापन उन दर्शकों के लिए फायदेमंद हैं जो लेट आते हैं, क्योंकि उन्हें एंट्री पर सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है. लेकिन अदालत ने इस दलील को ठुकराते हुए कहा, "समय पर पहुंचे दर्शकों को सिर्फ इसलिए लंबे विज्ञापन देखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, ताकि लेट आने वाले लोगों को फायदा मिले. यह अन्यायपूर्ण और अनुचित है."