Cyclone Nisarga: मुंबई पर मंडराया चक्रवाती तूफान ‘निसर्ग’ का खतरा, 129 साल बाद अरब सागर से आ सकता है संकट
चक्रवाती तूफान I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

मुंबई: महा-चक्रवात तूफान ‘अम्फान’ (Cyclone Amphan) के बाद अब एक नए चक्रवाती तूफान का खतरा मंडरा रहा है. अरब सागर (Arabian Sea) में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के चलते तूफान ‘निसर्ग’ (Cyclone Nisarga) देश के पश्चिम तट पर दस्तक दे सकता है. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक अरब सागर में कम दबाव वाला क्षेत्र सोमवार सुबह डिप्रेशन (Depression) में बदल गया. इस वजह से एक चक्रवात तूफान 3 जून शाम व रात के बीच उत्तर महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात तट को पार कर सकता है.

आईएमडी के मुताबिक आने वाले समय में इस कम दबाव के क्षेत्र का पूर्व-मध्य और इससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर पर तीव्र होकर डिप्रेशन बनाने से चक्रवाती तूफान बनने की संभावना है. इसके उत्तर की ओर बढ़ने और 3 जून तक उत्तर महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय क्षेत्र में पहुंचने की बहुत संभावना है. Nisarga Cyclone: जानिए चक्रवाती तूफान का नाम कैसे पड़ा निसर्ग, क्या है इसका मतलब

इसके प्रभाव से 3 से 4 जून को उत्तरी कोंकण और उत्तर मध्य महाराष्ट्र में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा तथा कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा और अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की उम्मीद है. जबकि 3 जून को दक्षिण गुजरात राज्य, दमन, दीव, दादरा और नागर हवेली में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा एवं अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की बहुत संभावना है. 4 जून को दक्षिण गुजरात राज्य, दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा एवं अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की प्रबल संभावना है.

वहीं, हवा की गति धीरे-धीरे बढ़ेगी और 2 जून की सुबह पूर्व-मध्य अरब सागर और कर्नाटक और दक्षिण महाराष्ट्र के तटों में 65-75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेगी तथा हवा की गति बढ़कर 85 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है और यह आंधी का रूप ले सकती है. 3 जून की सुबह पूर्व-मध्य व उत्तर-पूर्व अरब सागर और कर्नाटक तथा दक्षिण महाराष्ट्र के तटों पर 90-100 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से आंधी चल सकती है और इसकी गति बढ़कर 110 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है.

उल्लेखनीय है कि साल 1891 के बाद पहली बार अरब सागर में तूफान उठा है, जो महाराष्ट्र के तटीय इलाको को प्रभावित कर सकता है. इससे पहले साल 1948 और 1980 में दो बार डिप्रेशन बनने से तूफान की स्थिति बनी, लेकिन तूफान टल गया. लंबे समय बाद तूफान के खतरे से प्रशासन सतर्क हो गया है. अमूमन यहां समुद्री तूफान को लेकर कोई खास तैयारियां नहीं होती हैं.