RSS रूट मार्च को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश, कहा, सत्ता में बैठे लोगों को अधिकार नहीं...
Madras HC | Wikimedia Commons

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में भविष्य में रूट मार्च की अनुमति देने और आयोजित करने के लिए पुलिस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को दिशानिर्देश जारी किए. हाई कोर्ट ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को किसी व्यक्ति के विचार और अभिव्यक्ति के अधिकार को रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए. जस्टिस जी जयचंद्रन की उच्च न्यायालय पीठ ने यह भी कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को नागरिकों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति देते समय पक्षपाती नहीं होना चाहिए. ओवेरियन कैंसर के कारण पत्नी का गर्भाशय निकालना पति के प्रति क्रूरता नहीं- मद्रास हाई कोर्ट.

अदालत ने कहा, “भारत जैसे घनी आबादी वाले और लोकतांत्रिक देश में, साल भर जुलूस, रैलियां और सार्वजनिक बैठकें आम बात हैं और ये पूरे भारत में आयोजित की जाती हैं. वे जीवंत लोकतंत्र और विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के सच्चे संकेत हैं. सत्ता में बैठे लोगों को नागरिकों के विचार और अभिव्यक्ति के अधिकार को रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए. नागरिकों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति देते समय भी पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए.”

पिछले साल अक्टूबर में, आरएसएस ने अपने रूट मार्च के लिए अनुमति देने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, मामले के लंबित रहने के दौरान, राज्य ने रैली आयोजित करने के अनुरोध को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया था.

उच्च न्यायालय ने आरएसएस को रूट मार्च करने की अनुमति देते हुए कहा कि पहली बार में अनुमति देने से इनकार करने का राज्य का निर्णय राज्य में धर्मनिरपेक्ष और संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ था. अदालत ने कहा था कि राज्य ने केवल यह कहकर आरएसएस को अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि इच्छित मार्ग में अन्य संरचनाएं और पूजा स्थल थे जो धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांत के खिलाफ था.