छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तामिया की बेटी भावना डेहरिया (27) दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली मध्यप्रदेश की पहली महिला बन गई हैं. भावना ने अन्य पर्वतारोही दल के साथ माउंट एवरेस्ट पर 22 मई को फतह किया, लेकिन अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उसने अपनी जान को जोखिम में डालने से भी परहेज नहीं किया. शिखर की चढ़ाई के वक्त उसका ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर लीक करने लगा था. भावना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को नेपाल के काठमांडू से रविवार को फोन पर बताया, ‘‘माउंट एवरेस्ट के शिखर की चढ़ाई के वक्त मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर लीक करने लगा था. मैं डेढ़ घंटे लीकेज वाली जगह को पकड़ कर बैठी रही. हमारे पास एक्स्ट्रा रेगुलेटर नहीं था. शेरपा के अनुसार हमें वापस कैम्प-4 लौटना पड़ता. यह कठिन समय था और मैं वापस नहीं लौटना चाहती थी. शेरपा के काफी कहने पर भी मैं नहीं मानी और मेरी जिद्द के आगे शेरपा मान गया और मुझे अपना रेगुलेटर दिया और मुझे दूसरे ग्रुप के साथ आगे जाने को कहा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सिलेंडर भी इतने समय में खाली होने लगा था. मैंने इस स्थिति में अपने ऑक्सीजन सिलेंडर के वाल्व को आधा ही ओपन रखा, जिससे मैं शिखर तक पहुँच पाई.
इसी बीच मेरा शेरपा भी आ गया. उन्होंने रेगुलेटर ठीक कर लिया था. शिखर पर फोटो लेते वक्त अचानक मैं गिर पड़ी, तब मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो चुका था. मेरे शेरपा ने उसको रिप्लेस किया. तब वापस मैं संभली और दस मिनट शिखर पर रुकने के बाद वापस लौटने को तैयार हुई.’’
भावना ने बताया, ‘‘शिखर पर मैंने भारत का तिरंगा फहराया और ध्वज के साथ फोटो ली.’’ उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने मुझे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए 27.50 लाख की वित्तीय सहायता दी. भावना ने बताया, ‘‘यदि कमलनाथ ने मुझे वित्तीय सहायता मुहैया न कराई होती, तो मैं माउंट एवरेस्ट फतह करने का अपना सपना पूरा नहीं कर सकती थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने परिवार के लोगों की भी आभारी हूं, जिन्होंने मुझे मेरे इस अभियान में निरंतर समर्थन जारी रखा.’’
भावना ने बताया कि वह वर्तमान में भोपाल के वीएनएस कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में एमपीएड कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही घर लौटेंगी. इसी बीच स्टीफन शेरपा ने काठमांडू से फोन पर बताया, ‘‘हां, भावना ने माउंट एवरेस्ट पर फतह प्राप्त कर ली है.’’