लॉकडाउन 3.0 के तहत 4 मई से देश के कई हिस्सों में कुछ क्षेत्रों में छूट दी गई है. गृह मंत्रालय ने इसके लिए सभी जिलों को एक प्रस्ताव दिया है। जिसके तहत देश के सभी जिलों को ग्रीन, आंरेज और रेड ज़ोन में बांटा गया है. जो भी ढील दी गई है वो केवल ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में दी गई है. हांलाकि छूट वाले जिलों को भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने बताया कि छूट केवल इसी बात पर दी गई है कि सभी लोग दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे. हालांकि अभी कुछ ही चीजों में छूट दी गई है. स्कूल, कॉलेज, जिम अभी भी बंद रहेंगे. शादी-समारोह और भीड़ एकत्र करने वाले आयोजन प्रतिबंधित हैं. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा, मास्क लगा कर ही बाहर निकलना होगा.
जिला प्रशासन के निर्देश पर होगी कोई एक्टिविटी
डॉ. पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस की लड़ाई एक नए मुकाम पर पहुंच गई है. लॉकडाउन में वायरस से लड़ने के लिए काफी तैयारी की गई साथ ही वायरस फैलने की स्पीड कम हुई. अब जब लॉकडाउन खुलने का वक्त आ रहा है, तो जो भी गाइडलाइन्स जारी की गई हैं उसका पालन करना बहुत जरूरी है. शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक बाहर नहीं निकलना है. आरेंज, ग्रीन ज़ोन में वाहन में दो लोगों से ज्यादा नहीं बैठ सकते. क्योंकि अभी वायरस का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है, इसलिए छूट मिलने पर भी कोई लापरवाही नहीं करनी है. ताकि संक्रमण भी न फैले और जनजीवन भी वापस धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ सके. जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही कोई एक्टिविटी होगी. इसके अलावा सभी आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना जरूरी है. वायरस से खुद को सुरक्षित रखने का सबसे बड़ा हथियार है. यह भी पढ़े: लॉकडाउन के बाद भी जनऔषधि केंद्रों ने अप्रैल में की 52 करोड़ रुपये की बिक्री
बता दें कि देश के सभी जिलों को तीन जोन में बांटा गया है। इन जिलों को संक्रमण के सक्रिय मामलों, संक्रमण के बढ़ने की रफ्तार, परीक्षण और निगरानी के आधार पर बांटा गया है। रेड जोन में 130 जिले हैं। ऑरेंज जोन में 284 जिले जहां कुछ मामले शुरू में आए, लेकनि अभी नए मामले नहीं आ रहे हैं। वहीं ग्रीन जोन में 391 जिले हैं, इसमें वे जिले हैं, जिनमें अभी तक कोई मामला नहीं या पिछले 21 दिनों में कोई मामला नहीं आया.
आरोग्य सेतु ऐप में हाई सिक्योरिटी लेयर
वहीं आरोग्य सेतु ऐप को लकेर निजी जानकारी की सुरक्षा के सवाल पर डॉ. पॉल ने कहा कि इस ऐप को हाई लेवल की सिक्योरिटी लेयर के साथ बनाया गया है। इससे किसी की कोई भी निजी जानकारी लीक नहीं होगी.कोरोना वायरस से बचने के लिए बहुत ही जरूरी है। इससे आप न सिर्फ खुद की और परिवार की जान बचा पाएंगे, बल्कि देश को बचाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार पर भरोसा करिए, इस वक्त सबकी जान बचाना और संक्रमण से फैलने से बचाना ज्यादा जरूरी है, यह सिर्फ उसी के लिए है। चीन ने भी, विशेषकर वुहान में भी इसी तरह के मिलते-जुलते ऐप का प्रयोग किया था. लोगों को समझना होगा कि हमारा देश काफी बड़ा है। यह ऐप संक्रमण को रोकने में बहुत ज्यादा मददगार है.
अमेरिका कर रहा इबोला बीमारी की मेडिसीन का प्रयोग
अमेरिका ने हाल ही में अपने देश में एक मेडिसीन का प्रयोग करने की इजाज़त दी। जिसके बाद दुनिया भर में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर चर्चा तेज हो गई. भारत में भी उस दवा को लेकर काफी चर्चा हो रही है. जिस पर जानकारी देते हुए नीति आयोग के सदस्य डॉ. पॉल ने कहा कि अमेरिका की जिस मेडिसीन की चर्चा हो रही है उसका नाम रेमडेसिवीर है, जो अफ्रीका में इबोला बीमारी के इलाज के लिए बनी थी.
उसी दवा को कोरोना में प्रयोग करने की कोशिश की जा रही है. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने अपने देश में कोरोना के मरीजों को इस दवा को देने के लिए लाइसेंस दे दिया है कि अगर उन्हें लगता है तो दे सकते हैं. हांलाकि उन्होंने कहा कि लेकिन अभी भारत में इसका प्रयोग नहीं किया गया है. अगर भारत में प्रयोग होगा और सफल परिणाम आएंगे तो सरकार इस दवा को उपलब्ध कराएगी. लेकिन यह फैसला ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा ही लिया जाएगा.
दुनिया की फार्मेसी बनकर उभरा भारत
इस दौरान डॉ पॉल ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन पर कहा कि भारत के पास हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन बनाने की बहुत क्षमता है. हमारे देश में पर्याप्त मात्रा में यह दवाई है और इसलिए जब दूसरे देशों ने मदद मांगी तो उन्हें भी उपलब्ध कराई गई। यह भारत के लिए गर्व की बात है.भारत दुनिया की फार्मेसी बनकर उभरा है. हमारे देश में हाई क्वालिटी की यह दवाइयां बनाई जाती हैं। यह दवा सभी शहरों में उपलब्ध है. भारत में भी मरीजों को दी जा रही है, इसके अलावा जो रेड जोन में डॉक्टर, नर्स मरीजों की देख रेख कर रहे हैं उन्हें भी यह दवा दी जाती है.