नई दिल्लीः पूरा देश 15 अगस्त 2018 को आजादी के 71 वीं वर्षगाठ मनाने जा रहा है. आजदी से पहले भारत अंग्रेजों के हाथों में गुलाम था. इससे पहले देश में अंग्रेज ही राज कर रहे थे. इस देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया. किसी ने अंग्रेजो की लाठी खाई तो कईयों ने फांसी के फंदे को चूम लिया. एक तरफ जहां महात्मा गांधी अहिंसा की लड़ाई लड़ रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ भगत सिंह और आजाद गोली का जवाब गोली से दे रहे थे. इन वीरों ने अपना प्राण न्योछावर देश की आजादी के लिए कर दिया. लेकिन इस आजाद भारत में सांस लेने वाले आज कल के युवा क्या जानते हैं कि आजादी की राह इतनी आसान नहीं थी. जरा आप भी जानें कैसे 15 अगस्त को हमें मिली थी आजादी.
स्वतंत्रता दिवस’ से जुड़ी कुछ अहम बातें
1- देश को आजादी दिलवाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली, आजादी के जश्न में वे मौजूद नही थे.
2- दिल्ली में जिस दिन आजादी का जश्न मनाया जा रहा था. उस दिन महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.
3- देश 15 अगस्त को आजाद हो जाएगा. जब यह तय हो गया इसके बाद जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह से बापू जी को एक पत्र भेजा. जिस पत्र में लिखा था कि 15 अगस्त को देश का पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने वाला है. आप इस जश्न में शामिल होकर अपना आर्शिवाद दीजिए.
4- आजादी के जश्न से एक दिन पहले जवाहरलाल नेहरू ने एक ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया गया था.
5- 15 अगस्त हर स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.
6- भारत देश अंग्रेजों के हाथ 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया लेकिन उस समय कोई राष्ट्रगान नहीं बना था. हालांकि रवींद्रनाथ टैगोर ‘जन-गण-मन’ 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन उनका यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया.
7- भारत और पाकिस्तान के बीच 15 अगस्त तक कोई सीमा रेखा नहीं खींची गई थी लेकिन 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन के रूप में खींची गई.