17 महीने के बच्चे के इलाज पर कर्नाटक हाई कोर्ट का केंद्र को नोटिस
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits : Twitter)

बेंगलुरु, 28 सितम्बर : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (टाइप 1) बीमारी से पीड़ित 17 महीने के बच्चे के इलाज के संबंध में केंद्र को नोटिस जारी किया है. इस संबंध में याचिका बच्चे के पिता नवीन ने दायर की थी. न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बच्चा अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित है. इसका इलाज भारत में उपलब्ध नहीं है और वैक्सीन को अमेरिका से आयात करना होगा.

यह भी प्रस्तुत किया गया कि उपचार की लागत 16 करोड़ रुपये है और अब तक क्राउडफंडिंग के माध्यम से 8 करोड़ रुपये इक्ठ्ठे किए गए हैं. जन्म से 24 महीने पहले बच्चे का इलाज करवाना चाहिए वरना यह घातक हो सकता है. याचिकाकर्ता ने सरकार को इलाज के लिए घाटे की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया. केंद्र के वकील ने समझाया कि दुर्लभ से दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए एक अलग नीति है और चिकित्सा विशेषज्ञों को इस पर फैसला करना होगा. यह भी पढ़ें : सीबीएसई: अगले 48 घंटे में छात्रों का डेटा उपलब्ध कराएंगे देशभर के स्कूल

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि चूंकि यह बच्चे के जीवन का सवाल है, इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और मामले को 1 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया. इस संबंध में अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) एक अनुवांशिक बीमारी है जो नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करती है, जिससे मांसपेशियां तेजी से कमजोर होती जाती हैं. यह ज्यादातर शिशुओं और बच्चों को प्रभावित करता है.