कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते चालू वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. आलोच्य तिमाही से पूर्व की तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 3.1 फीसदी दर्ज की गई थी जबकि बीते वित्तवर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश के जीडीपी में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्थिर मूल्य (2011-12) के आधार पर चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि बीते वित्तवर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में जीडीपी 35.35 लाख करोड़ रुपये था.
इस प्रकार जीडीपी में आलोच्य तिमाही में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं, वर्तमान मूल्य पर 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 38.08 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल इसी तिमाही में 49.18 लाख करोड़ रुपये था जोकि 22.6 फीसदी के संकुचन को दर्शाता है. कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन रहने के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रहीं, हालांकि एक जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं, लेकिन अप्रैल से जून तक पूरी तिमाही में कोरोना का भारी असर रहा. यह भी पढ़े: GDP Decline: जीडीपी गिरावट पर राहुल गांधी बोले- चेतावनी को नजरअंदाज करना दुर्भाग्यपूर्ण
देश में 1990 के दशक से तिमाही जीडीपी के आंकड़े जारी हो रहे हैं. इससे पहले जीडीपी में इतनी बड़ी गिरावट कभी नहीं देखी गई थी. जीडीपी के आंकड़े आने के बाद सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यन ने कहा, "वैश्विक आर्थिक आउटलुक के अनुसार, कुछ देशों में प्रति व्यक्ति जीडीपी में 1870 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट रहेगी. जाहिर है कि हम जिस दौर से गुजर रहे हैं वह कोई डेढ़ सदी में एक बार आता है." उन्होंने कहा, "भारत पूरी अप्रैल-जून तिमाही में लॉकडाउन में था और अधिकांश आर्थिक गतिविधियां बाधित थीं. इसलिए यह उम्मीदों के अनुरूप है."