नई दिल्ली, 23 नवंबर: दिल्ली हाई कोर्ट ने यहां गंगा राम अस्पताल में अपने दिवंगत अविवाहित बेटे के सुरक्षित रखे गए शुक्राणु (स्पर्म) उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी करने संबंधी एक दंपती की याचिका पर बुधवार को केंद्र का रुख जानना चाहा. World's Oldest Babies! अमेरिका में 30 साल पहले फ्रीज किए गए भ्रूण से पैदा हुए जुड़वा बच्चे, देखें तस्वीर
दंपती ने ‘सरोगेसी’ के लिए अदालत से यह अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता के बेटे के कैंसर से पीड़ित होने का पता चलने के बाद उसकी कीमोथेरेपी शुरू होने से पहले उसके शुक्राणु के नमूने सुरक्षित रख दिए गये थे.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मामले में केंद्र सरकार को एक पक्षकार बनाया और उसे नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इस विषय पर उसका विचार जानना चाहते हैं क्योंकि इस विषय पर केंद्र के कानून पर इसका प्रभाव पड़ेगा.
अदालत ने कहा, ‘‘रिट याचिका से उठे सवालों और सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (नियमन) अधिनियम 2021 पर पड़ सकने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, अदालत का मानना है कि केंद्र के उपयुक्त मंत्रालय को एक पक्षकार बनाया जाए ताकि उनके विचार भी जाने जाए.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सरोगेसी अधिनियम और सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी अधिनियम तथा उसके नियम उस वक्त लागू नहीं थे जब याचिकाकर्ता के बेटे की मृत्यु हुई थी.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सितंबर 2020 में दिवंगत हुए अपने बेटे के शरीर के अवशेषों पर उनका सर्वप्रथम अधिकार है. इससे पहले, अस्पताल ने अदालत से कहा था कि देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो एक अविवाहित पुरुष के सुरक्षित रखे गये शुक्राणु को उसके माता-पिता या कानूनी उत्तराधिकारी को सौंपने का प्रावधान करता हो. विषय पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी.
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