केंद्र सरकार ने 40 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है, पहले लिमिट 20 लाख सालाना टर्नओवर थी. साथ ही डेढ़ करोड़ रूपए तक के टर्नओवर वाली कम्पनी को कम्पोजीशन स्कीम का फायदा मिल सकता है. यानी उन्हें एक प्रतिशत तक ही टैक्स देने का प्रावधान किया गया है. इस तरह के कई सारे प्रावधान हैं जो एक एक कर के सरकार की ओर से दिए गए है. लघु एवं मध्यम उद्योग की बात करें तो उनकी ज़रूरत क्या है और किस तरीके से बदलाव के ये कदम उन्हें लाभ पंहुचा सकते हैं, इन्हीं ख़ास मुद्दों पर चर्चा की.
इस बारे में , ICAI के पूर्व अध्यक्ष वेद कुमार जैन बताते हैं कि 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, तीन साल के इस दौर में जीएसटी काफी आगे बढ़ा है. इसमें 62 लाख से बढ़ कर 1 लाख 25 हजार तक रजिस्ट्रेशन हो गया है. टैक्स की जो जटिल प्रक्रिया थी उससे राहत मिल गई, लेकिन इसमें समय-समय पर देखा जा रहा था कि छोटे डीलर, मध्यम व निम्न वर्ग के व्यापारियों को कुछ परेशानी आ रही थी, तो भारी छूट देने की व्यवस्था की गई. जीएसटी काउंसिल का पूरा फोकस है कि निम्न और मध्यम वर्ग के सामने आने वाली मुश्किलों को कम किया जाए. इसी के तहत ये फैसले लिये गये और 40 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को दायरे से बाहर रख दिया गया. उन्हें अब रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है.
डेढ़ करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले रजिस्ट्रेशन करायेंगे, लेकिन एक प्रतिशत टैक्स देना होगा, होटल, रेस्टोरेंट वालों को 5 प्रतिशत रखी गयई, क्योंकि उनके यहां सर्विस ज्यादा आती है. सर्विस सेक्टर में भी 50 लाख तक के टर्नओवर वालों को 6 प्रतिशत देना होगा. इससे सबसे ज्यादा फायदा लघु और मध्यम वर्ग को फायदा होगा. अगर किसी का सलाना डेढ़ करोड़ है तो डेढ़ करोड़ पर सिर्फ एक प्रतिशत ही टैक्स देना है. फार्म भी साल के तीमाही में भरना हैं.
एमएसएमई के लिये बहुत बड़ी राहत
कोरना काल में निम्न और मध्य वर्ग को अर्थव्यवस्था के लिये मजबूत नीव के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में जीएसटी की ये छूट कितना फयादा देगी, इस बारे में चैंबर ऑफ एमएसएमई के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता बताते हैं कि कोरोना के बाद लॉकडाउन में ही वित्तमंत्री ने सबसे पहले सूक्ष्म, लघु उद्योग के लिये बड़ा पैकेज दिया था. इन्हें तीन लाख करोड़ का लोन देने का ऐलान किया गया. क्योंकि इनकी सबसे बड़ी समस्या होती है कि अगर रिटर्न फाइल करने में देर हो गयी तो ब्याज बढ़ने लगता है.
उन्होंने कहा कि अब सरकार ने किया है एक रिटर्न पर के बाद न देने पर हर दिन से पेनाल्टी लगती थी, अब दो, तीन साल की देर होने पर भी छोटे व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं होगी. इसके अलावा अभी ज्यादातर लोग घर से काम रहे हैं, ऐसे में डिजिटल सिग्नेचर से रिटर्न फाइल करते हैं तो सरकार ने उन्हें छूट दी है कि बिना डिजिटल सिग्नेचर के भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं. एमएसएमई के लिए यह बहुत बड़ी राहत है.
उन्होंने बताया कि जीएसटी फाइल करने की समय सीमा भी बढ़ा दी गई है. क्योंकि कई कारोबारी खुद की उत्पाद बनाते हैं और खुद सेल करते हैं और उन्हें जीएसटी फाइल का भी काम करना होता है और ऐसा नहीं है कि सुविधायें यहीं रुक गई हैं, बल्कि आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं. इस नये लाभ में टर्नओवर बढ़ाने से 6 करोड़ से ज्यादा कारोबारियों को फायदा होगा.