नई दिल्ली: केंद्र सरकार दवाइयों पर होने वाले बेलगाम मुनाफे को रोकने की तैयारी में है. इसके लिए आने वाले समय में दवाओं की बिक्री के पहले ही उस पर लाभ की सीमा तय कर दी जाएगी. इस योजना के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सुझाव पर दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि आम जनता को उचित मूल्य पर दवाएं और मेडिकल उपकरण मिल सकें.
वर्तमान समय में सरकार सिर्फ कुछ महत्पूर्ण दवाओं की कीमतों में नियंत्रण रखती है. इसके अलावा सभी गैर-निर्धारित दवाओं की कीमतों में सरकार हस्तक्षेप नहीं करती हैं. इन दवाओं की कीमतें सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं, और देसी-विदेशी कंपनियां, एजेंट, डिस्ट्रीब्यूटर व फुटकर विक्रेता इन दवाओं पर 30 फीसदी से 65 फीसदी और कई दवाओं पर इससे भी ज्यादा मुनाफा कमाते हैं.
यह मुनाफा काफी अधिक होता है और इसके लिए ग्राहक कई ज्यादा रकम चुकाते हैं इसी पर अंकुश लगाने के लिए पीएमओ ने बिक्री के पहले ही लाभ सीमा तय करने का निर्देश दिए हैं. डीपीसीओ में संशोधन के लिए तैयार किए गए कार्यपत्र में पीएमओ की बैठक के बाद फिर बदलाव किया जा रहा है
सूत्रों के मुताबिक, हर दवा में लाभ की सीमा पहले चरण की बिक्री के आधार पर तय की जाएगी और इसमें चिकित्सा के लिए आयात की जाने वाली हर वस्तु शामिल होगी. लाभ का प्रतिशत का निर्धारण पीएमओ के साथ आगामी बैठक में तय होगा. इसमें फार्मास्यूटिकल विभाग और राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल मूल्य प्राधिकरण भी शामिल होंगे.
सूत्रों के मुताबिक़ नीति लागू होने के बाद चिकित्सा क्षेत्र में विदेश से आने वाली हर चीज का व्यापारिक लाभ भी पहले से तय होगा. ऐसे में कंपनियों को निर्माण के साथ बाजार तक उत्पाद पहुंचाने का खर्च स्पष्ट करना होगा. डीपीसीओ में बदलाव कर सरकार नई नीति को अगले साल तक लागू कर सकती है.