पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर, जानें इस बीमारी के कारण और शुरुआती लक्षण
मनोहर पर्रिकर (Photo Credits: IANS)

पिछले एक साल से पैंक्रियाटिक कैंसर (pancreatic cancer) यानी अग्नाशय कैंसर से जूझ रहे गोवा के सीएम (Goa Chief Minister) मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए और 63 साल की उम्र में रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. पैंक्रियाटिक कैंसर एक बहुत ही घातक बीमारी है और इसकी चपेट में ज्यादातर लोग 60 साल की उम्र के बाद ही आते हैं. गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर को इस जानलेवा बीमारी के बारे में पिछले साल तब पता चला जब यह कैंसर चौथी स्टेज पर पहुंच चुका था. दरअसल, पैंक्रियाटिक कैंसर बहुत ही घातक बीमारी है. जब इंसान के पेट में मौजूद अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं का जन्म होता है तब इस बीमारी की शुरुआत होती है.

पैंक्रियाटिक कैंसर की बीमारी का खतरा महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होता है. यह कैंसर हमारे शरीर में पेट और आंत के बीच में होता है. हालांकि यह दूसरे प्रकार के कैंसर के मुकाबले कम होता है, लेकिन अगर इस बीमारी के लक्षण शुरुआती दौर में पता न चल पाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. पैंक्रियाटिक कैंसर के ज्यादातर मरीजों के जीने की संभावना महज एक साल होती है, जबकि इससे पीड़ित 5 फीसदी लोग ही 5 साल तक जीवित रह पाते हैं. चलिए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और कारण, ताकि समय रहते आप इस बीमारी से अपना बचाव कर सकें.

पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण

खासकर, स्मोकिंग करने वाले पुरुषों में पैंक्रियाटिक कैंसर के होने का खतरा स्मोकिंग न करने वाले पुरुषों की तुलना में दो से तीन गुना ज्यादा होता है. इसके इलावा इस बीमारी के कई और कारण हो सकते हैं. यह भी पढ़ें: मनोहर पर्रिकर का निधन, कैंसर से जूझ रहे थे गोवा के मुख्यमंत्री

  • अत्यधिक स्मोकिंग
  • ज्यादा मोटापा
  • रेड मीट का सेवन
  • फैट वाली चीजें खाना
  • आनुवांशिक कारण
  • लंबे समय तक अग्नाशय में दर्द

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण 

मेडिकल साइंस में पैंक्रियाटिक कैंसर को मूक कैंसर भी कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण शरीर में मौजूद तो होते हैं, लेकिन आसानी से नजर नहीं आते हैं. इस बीमारी के शुरुआती ट्यूमर डॉक्टरों की पकड़ में भी नहीं आते हैं.

  • पेट के ऊपरी भाग में दर्द
  • स्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला होना.
  • भूख न लगना
  • जी मिचलाना
  • उल्टियां होना
  • कमजोरी महसूस होना
  • लगातार वजन घटना

इन बातों का रखें ख्याल 

नियमित तौर पर अपना हेल्थ चेकअप कराकर आप इस बीमारी से काफी हद तक अपना बचाव कर सकते हैं. अगर किसी को इस बीमारी के बारे में पता चलता है तो मॉडर्न मेडिकल साइंस में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के जरिए इस बीमारी का इलाज किया जाता है. यह भी पढ़ें: Manohar Parrikar: राजनीति में 'मिस्टर क्लीन' कहलाते थे मनोहर पर्रिकर, देश के पहले IIT ग्रेजुएट सीएम थे

अपने डेली डायट में ताजे फलों का रस और हरी सब्जियों को शामिल करें. इसके अलावा ब्रोकली, ग्रीन टी, लहसुन, सोयाबीन और एलोवेरा इत्यादि का सेवन करना फायदेमंद होता है. अगर आपको इस बीमारी से जुड़े कोई लक्षण नजर आते हैं तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते अपना इलाज करवाएं.