नई दिल्ली: कोरोना वायरस से संक्रमित अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के बारे में मीडिया के हवाले से खबर थी कि इलाज के दौरान दिल्ली के एम्स अस्पताल में उसकी मौत हो गई. लेकिन इस खबर के कुछ समय बाद दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) की तरफ से एक बयान जारी कर इसका खंडन किया गया. अस्पताल की तरफ से कहा गया कि छोटा राजन (Chhota Rajan) फिलहाल जिंदा है और उसका एम्स में इलाज चल रहा है. जानते हैं कि मुंबई के चेंबूर इलाके में रहने वाला एक 10 साल का लड़का कैसे थियेटर के बाहर टिकट ब्लैक करते-करते कैसे अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया. जिसके बाद वह अपराध की दुनिया में पूरी तरह से लिप्त हो गया.
छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे हैं. उसका जन्म मुंबई के चेंबूर इलाके की तिलक नगर बस्ती में हुआ था. स्कूल छोड़ने के बाद छोटा राजन मुंबई में फिल्मों का टिकट ब्लैक करने लगा. इसी बीच वह राजन नायर गैंग में शामिल हो गया. अंडरवर्ल्ड की दुनिया में नायर को 'बड़ा राजन' के नाम से जाना जाता था. यह भी पढ़े: जिंदा है अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन, दिल्ली AIIMS में चल रहा है कोरोना का इलाज
समय के साथ छोटा राजन बड़ा राजन का करीबी बना और उसकी मौत के बाद गैंग का सरगना बन गया. इस्सी बीच उसकी दाऊद इब्राहिम के साथ छोटा राजन की दोस्ती हुई और फिर दोनों ने एक साथ अपराध शुरू किया. दोनों ने एक साथ मिलकर मुंबई में वसूली, हत्या, तस्करी और फिल्में फाइनेंस करने के काम में लग गए. लेकिन दोनों के बीच दोस्ती दुश्मनी में बदल जाने के बाद दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे.
बताया जाता है कि साल 1988 में छोटा राजन दुबई चला गया. इसके बाद दाऊद की सरपरस्ती में छोटा राजन की ताकत और बढ़ गई वो पूरे भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में गैर कानूनी धंधे करने लगा. दोनों की दोस्ती अंडरवर्ल्ड में काफी मशहूर हो गई थी. लेकिन जब यह यारी, दुश्मनी में बदली तब इसका नतीजा यह हुआ कि कत्ल-ए-आम मच गया. दरअसल मुंबई में साल 1993 में हुए बम ब्लास्ट के बाद दाऊद और छोटा राजन के बीच दुश्मनी पनप गई और दोनों एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे. जिसके बाद वे एक दूसरे को देखना नहीं चाहते थे.
बता दे कि छोटा राजन पर भारत में 65 से ज्यादा क्रिमिनल केस दर्ज हैं. राजन के नायर गैंग में रहते हुए उस पर अवैध वसूली, धमकी, मारपीट और हत्या की कोशिश के मामले दर्ज थे. भारत में उसके खिलाफ 20 से ज्यादा लोगों के मर्डर का भी केस दर्ज हैं. सन 2011 में मुंबई के सीनियर जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे के मर्डर में भी उसका हाथ माना जाता है. फिलहाल उसे साल 2015 में इंडोनेशिया से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया है और दिल्ली के तिहार्ड जेल में रखा गया.