
Rani Durgavati Punyatithi 2025: गढ़ा राज्य की शासक महारानी रानी दुर्गावती (Rani Durgavati ) का निधन 24 जून 1564 को हुआ था, इसलिए इस तिथि पर उनकी पुण्यतिथि (Rani Durgavati Punyatithi) मनाई जाती है. उनका जन्म 05 अक्टूबर 1524 को कालिंजर किले (गोंडवाना) में हुआ था. उनका जन्म चूंकि दुर्गाष्टमी को हुआ था, इसलिए उनके माता-पिता ने उनका नाम दुर्गावती रखा था. दुर्गावती अपने नाम के अनुरूप साहसी, बहादुर और सुंदर थीं. दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्ति सिंह की इकलौती संतान थीं. दुर्गावती का विवाह राजा संग्राम सिंह शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था. यह भी पढ़ें: Rani Lakshmibai Punyatithi 2025: रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर इन हिंदी Messages, Photo SMS, Quotes के जरिए उन्हें अर्पित करें श्रद्धांजलि
26 वर्ष की आयु में बनीं गढ़ मंडला की शासक
विवाह के चार वर्ष के बाद 1550 में ही राजा दलपत शाह का निधन हो गया, चूंकि उनका पुत्र नारायण उस समय मात्र 3 साल का था, लिहाजा रानी दुर्गावती ने गढ़ा मंडल की बागडोर संभाली. आज का जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था. रानी दुर्गावती जब राज्य शासक बनीं उस समय उनकी उम्र मात्र 26 साल थी.
राज्य संभालते ही रानी को भांजनी पड़ी तलवार
राज्य की बागडोर संभालते ही बाज बहादुर जैसे शासक उन्हें आम महिला समझते हुए रानी के राज्य को हड़पने की कोशिश में लग गये, लेकिन रानी ने अपने पराक्रम और बहादुरी से उन सभी दुश्मनों को धूल चटाया. इसके बाद से किसी ने भी उनके राज्य की ओर आंख उठाकर देखने की जुर्रत नहीं की.
अकेले करती थीं शेर का शिकार
रानी दुर्गावती अदम्य साहस एवं वीरता की प्रतीक थीं. उन्हें जब भी खबर मिलती कि उनके राज्य में आदमखेर शेर या चीता घुस आया है, तो वह शस्त्र उठाकर अकेले शेर का शिकार करने निकल जाती थीं और जब तक वह शेर को मार नहीं देती थीं, वह पानी नहीं पीती थीं. शेर-चीते के शिकार की ऐसी तमाम घटनाएं उनके साथ घटी हैं.
राज्य में कई बाग, बावड़ी, मंदिर, तालाब का निर्माण कराया
रानी दुर्गावती ने अकबर की सेना का कई बार सफाया किया, इसलिए अकबर की सेना उस पर दुबारा आक्रमण करने से बचती रही. रानी केवल कुशल प्रशासक ही नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपनी प्रजा के हित के लिए भी काफी कार्य भी किये. अपने 16 साल के राजकाज में उन्होंने अपने नगर में कई मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी और धर्मशालाएं आदि बनवाए. इस वजह से प्रजा उन्हें बहुत प्यार करती थी.
साक्षात दुर्गा थीं रानी दुर्गावती
मुगल बादशाह अकबर ने छल-बल-दल हर उपाय से रानी दुर्गावती के राज्य को हड़पने का प्रयास किया, मगर रानी ने उसकी हर चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उनके जीते जी अकबर रानी के किले पर कब्जा नहीं कर सका. 24 जून 1564 में एक युद्ध में जब रानी दुश्मन सेना से बुरी तरह घिर गईं. सैनिक उन्हें गिरफ्तार करने आगे बढ़े, तो उसके पहले ही रानी अपने कटार को सीने में भोंक कर शहीद हो गईं. रानी दुर्गावती का नाम भारत की महानतम वीरांगनाओं में आता है.