नई दिल्ली, 12 जनवरी : संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सभी संगठनों ने कृषि कानूनों पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के सुझाव का स्वागत किया है, लेकिन किसी समिति के सामने कार्यवाही में हिस्सा लेना उनको मंजूर नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों और इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जो सुझाव दिए, उन पर देर शाम प्रतिक्रिया देते हुए किसान संगठनों ने कहा कि सरकार के अड़ियल रवैये की वजह से उन्हें किसी भी समिति के सामने पेश होना मंजूर नहीं है, भले ही उसकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही की जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों के कई संगठनों की अगुवाई में 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान में कहा कि सभी किसान संगठनों का यह फैसला है कि कृषि कानूनों को अवश्य निरस्त किया जाना चाहिए. हालांकि संगठनों ने किसानों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिव्यक्त विचार के लिए अदालत का आभार जताया है. हालांकि उनका कहना है कि सरकार के रवैये को देखते हुए यह स्पष्ट है कि वे समिति के सामने कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा नहीं करेंगे. यह भी पढ़ें : Kisan Divas 2020: प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह ने चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की
मोर्चा ने कहा कि उनके वकीलों और हरीश साल्वे समेत अन्य वकीलों द्वारा शीर्ष अदालत से कल फिर सुनवाई करने का अनुरोध किया गया, ताकि वे अदालत के सुझावों पर किसान संगठनों की राय ले सकें. संयुक्त किसान मोर्चा ने मीडिया को जारी बयान में आगे कहा, "हमें बताया गया है कि कल सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं की गई है, क्योंकि रात नौ बजे कल के लिए तक मुकदमों की सूची पहले ही प्रकाशित हो चुकी है और अब मामला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय सुनाने के लिए सूचीबद्ध है." किसान संगठनों ने कहा कि इससे वे, उनके वकील और किसान काफी निराश हैं. किसान संगठनों ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की आज (सोमवार) की सुनवाई पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी थी. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आखिरकार उसने प्रेस को यह बयान जारी करने का फैसला लिया.