Delhi High Court on 80 Percent Reserve ICU Beds: कोरोना संकट के बीच दिल्ली के निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड रिजर्व रखने के आदेश पर रोक
दिल्ली हाई कोर्ट (File Photo: IANS)

नई दिल्ली, 22 सितंबर. दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों को कोविड-19 रोगियों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति नवीन चावला की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने 'एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स' द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह आदेश दिया.

पीठ ने दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) और केंद्र सरकार से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 16 अक्टूबर तक टाल दिया. वकील संयम खेतपाल और नरिता यादव के माध्यम से दायर याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने बहस की. यह भी पढ़ें-Coronavirus Cases in Delhi: दिल्ली में कोरोना के मामले 2.42 लाख के पार, पिछले 24 घंटों में 38 मरीजों की हुई मौत

याचिका में कहा गया कि आदेश को इस बात का अहसास किए बिना अनियंत्रित, अनुचित और अवैध तरीके से पारित कर दिया गया कि निजी नर्सिग होम और अस्पतालों को इससे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, इस तथ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है कि नॉन-कोविड रोगियों को लंबे समय तक या अचानक बीमारी की स्थिति में आईसीयू/एचडीयू बेड की अनुपलब्धता के कारण घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि निजी अस्पतालों में आईसीयू/एचडीयू बेड के अधिकांश हिस्से पूरी तरह से ऑक्युपाइड हैं, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना आदेश को पारित कर दिया गया है. आदेश में कोविड रोगियों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू/एचडीयू में बेड आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे यह एक ओर जहां नॉन-कोविड रोगियों के स्वास्थ्य और जीवन दोनों को खतरे में डालना होगा, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रभावी कार्यप्रणाली भी प्रभावित होगी.

याचिका में यह भी कहा गया है कि क्रिटिकल केयर बेड की मौजूदा मांग-आपूर्ति की स्थिति को समझने के लिए निजी अस्पतालों के साथ बिना किसी पूर्व चर्चा के आदेश जारी किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में गंभीर रूप से बीमार रोगियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले आवश्यक और संवैधानिक रूप से गारंटीकृत आईसीयू / एचडीयू में गहन चिकित्सा उपचार के आवश्यक स्तर तक पहुंच से वंचित कर दिया गया.

इसमें कहा गया है कि हरियाणा राज्य में, गुरुग्राम के जिला मजिस्ट्रेट ने कोविड मामलों के उपचार के लिए सभी सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में केवल 35 प्रतिशत बेड ही आरक्षित रखने का निर्देश दिया है.