
Justice Yashwant Varma News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार रात एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें तीन तस्वीरों और एक वीडियो (Video) के साथ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से मिली बेहिसाब नकदी (Unaccounted Cash) का खुलासा किया गया. यह रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा शुरू की गई आंतरिक जांच के बाद सार्वजनिक की गई. साथ ही, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय को निर्देश दिया गया कि वे न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें.
घटना का पूरा विवरण
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट के अनुसार, 14 मार्च को होली की रात आग बुझाने के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास के एक स्टोररूम में जली हुई मुद्रा मिली थी. यह जानकारी दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दी. रिपोर्ट के अनुसार, स्टोररूम में अज्ञात स्रोतों से प्राप्त बेहिसाब नकदी जलने की स्थिति में मिली थी, जिससे इस मामले ने तूल पकड़ लिया.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का बयान: साजिश का आरोप
न्यायमूर्ति वर्मा ने इस मामले से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "मैंने जब आखिरी बार वह जगह देखी थी, तब वहां ऐसा कुछ नहीं था. यह स्पष्ट रूप से मुझे बदनाम करने की एक साजिश लग रही है."
#WATCH | The Supreme Court released the inquiry report filed by Delhi High Court Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya into the controversy relating to High Court Justice Yashwant Varma. In his report, the Delhi High Court Chief Justice said that he is of the prima facie opinion… pic.twitter.com/1xgMh8xWNW
— ANI (@ANI) March 22, 2025
अपने विस्तृत स्पष्टीकरण में, उन्होंने कहा कि आग उनके सरकारी आवास के कर्मचारी क्वार्टर के पास स्थित स्टोररूम में लगी थी. यह जगह घर के पुराने सामान जैसे फर्नीचर, बर्तन और बागवानी उपकरण रखने के लिए इस्तेमाल होती थी. यह न तो बंद थी और न ही उनके मुख्य निवास से सीधे जुड़ी हुई थी.
आग के समय परिवार की स्थिति
14 मार्च की रात जब यह घटना हुई, तब न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश में थे. घर में केवल उनकी बेटी और वृद्ध माता उपस्थित थीं. घटना की सूचना मिलने के बाद, उन्होंने अगली सुबह भोपाल से इंडिगो फ्लाइट द्वारा दिल्ली लौटने की व्यवस्था की. आग लगने के समय उनकी बेटी और निजी सचिव ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी.
न्यायमूर्ति वर्मा ने यह भी बताया कि अग्निशमन कार्य के दौरान उनके परिवार के सभी सदस्य और कर्मचारी सुरक्षित दूरी पर थे और किसी ने नकदी नहीं देखी.
सभी वित्तीय लेन-देन बैंकिंग चैनलों के माध्यम से
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका परिवार सभी वित्तीय लेन-देन बैंकिंग माध्यमों जैसे यूपीआई और कार्ड भुगतान के जरिये करता है. उन्होंने यह भी बताया कि घटनास्थल पर नकदी बरामद करने या जब्त करने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सच में इतनी नकदी मिली थी, तो उसे तुरंत उनके समक्ष क्यों नहीं रखा गया? उन्होंने आगे कहा, "हमें किसी प्रकार के बोरे या जली हुई नकदी के अवशेष नहीं दिखाए गए. हमारे कर्मचारियों ने बताया कि वहां से केवल मलबा और उपयोगी वस्तुएं हटाई गई थीं. अगर सच में इतनी बड़ी रकम बरामद हुई थी, तो इसे आधिकारिक रूप से जब्त क्यों नहीं किया गया?"
मामले पर बढ़ते सवाल
न्यायमूर्ति वर्मा ने जोर देकर कहा कि जिस स्टोररूम में नकदी पाई गई, वह उनके मुख्य निवास से पूरी तरह अलग था. उन्होंने इस आरोप को पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि यह उनके खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र हो सकता है.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायिक हलकों में गहरी चर्चा चल रही है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और इस विवाद का क्या परिणाम होता है.