अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारत ने संयम और संतुलन के साथ प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच "व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" है, जो साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत जनसंपर्क पर आधारित है. MEA के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “यह साझेदारी कई बदलावों और चुनौतियों का सामना कर चुकी है. हम उन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिन पर दोनों देश सहमत हैं और हमें विश्वास है कि यह रिश्ता आगे भी मजबूती से बढ़ेगा.”
ट्रंप के 25% टैरिफ से फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम पर बढ़ेगा बोझ, भारत के पास है क्या ऑप्शन?
रक्षा साझेदारी पर भी MEA का जोर
जायसवाल ने अमेरिका के साथ बढ़ती रक्षा साझेदारी की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, “हमारी रक्षा भागीदारी समय के साथ मजबूत हुई है और इसमें आगे और विस्तार की संभावना है, खासकर ‘India-U.S. COMPACT for the 21st century’ के तहत.”
ट्रंप के आरोप और भारत की स्पष्ट नीति
ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट कर कहा कि भारत के "उच्च टैरिफ", "गैर-आर्थिक व्यापार रुकावटें" और रूस के साथ उसके सैन्य एवं ऊर्जा संबंधों के चलते यह फैसला लिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं.
भारत ने टाला दबाव, किसानों और MSME पर नहीं होगा समझौता
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत किसी भी दबाव में आकर कृषि, डेयरी और छोटे उद्योगों (MSME) के क्षेत्रों में रियायत नहीं देगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “किसानों का हित सर्वोपरि है. सरकार किसी दबाव में नहीं आएगी."
बाजार पर सीमित असर की उम्मीद
अधिकारियों का मानना है कि 25% टैरिफ का असर सीमित रहेगा और यह भारतीय बाजार के लिए बहुत बड़ी चिंता की बात नहीं है. इसके साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया कि आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (GM) फसलों के आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी.












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