अयोध्या जमीन विवाद: मुस्लिम पक्ष के लोगों ने मामले में सुलह करने से किया इंकार
अयोध्या विवाद (Photo Credit-PTI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा बुधवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिए जाने के बाद भी अयोध्या मामले पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मुस्लिम पक्षों में एक दरार पैदा हो गई है, क्योंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकीलों ने विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए निकाले जाने पर असहमति जाहिर की है. मुस्लिम पक्षों की तरफ से पांच वकीलों द्वारा जारी एक बयान में मध्यस्थता पैनल के सदस्य श्रीराम पंचू व सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी के बीच साफ तौर पर साजिश का संकेत दिया गया. सुन्नी वक्फ बोर्ड के शकील अहमद सहित दूसरे वकीलों ने कहा, "प्रेस में लीक या तो मध्यस्थता कमेटी द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर किया गया या जिन्होंने इस तथाकथित मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग लिया उनके द्वारा प्रेरित हो सकता है। इस बात पर जोर देने की जरूरत है कि इस तरह का लीक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पूर्ण रूप से अवहेलना है, जिसने निर्देश दिया था कि इस तरह की प्रक्रिया गोपनीय रहनी चाहिए.

बयान में कहा गया कि इसके प्रेस में लीक होने का समय और वक्फ बोर्ड की तरफ से वकील शाहिद रिजवी द्वारा गुरुवार को इसकी पुष्टि संदेहास्पद प्रतीत होती है. उन्होंने कहा, "जिस दिन सुनवाई बंद हुई, ऐसा लगता है कि यह पहले से सोचा गया था. पंचू भी सुप्रीम कोर्ट के परिसर में 16 अक्टूबर को थे और वह परिसर में जफर फारूकी से बातचीत कर रहे थे. बोर्ड के एक अन्य वकील रिजवी ने मीडिया से कहा कि अयोध्या को निपटारे की जरूरत है, न कि निर्णय की और बोर्ड के चेयरमैन की भी ऐसी ही राय है. यह भी पढ़े: अयोध्या विवादः मध्यस्थता पैनल ने पेश किया नया समझौता- केंद्र करें जमीन का अधिग्रहण, ASI के मस्जिद में मिले नमाज पढ़ने की अनुमति

वकीलों ने जोर दिया कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि कोई भी मध्यस्थता किन परिस्थितियों में की जा सकती है, खास तौर से जब मुख्य हिंदू पक्षों ने खुले तौर किसी समझौते में भाग नहीं लेने की बात कही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सुनवाई के अंतिम दिन मध्यस्थता समिति की ओर से पंचू से एक सूचना मिली, लेकिन उसका खुलासा नहीं किया गया था. वकीलों ने जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता प्रेस में लीक किए गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं, न तो उस प्रक्रिया को जिस तरह से मध्यस्थता की की गई है और न ही उस तरीके को जिस तरीके से दावे को वापस लेने का सुझाव दिया गया है.